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विश्व बैंक से पाकिस्तान को झटका-भारत की तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की पेशकश स्वीकार करे

इस्लामाबाद : विश्व बैंक ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे किशनगंगा बांध विवाद में तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की भारत की पेशकश को स्वीकार करना चाहिए. एक मीडिया रपट के अनुसार विश्व बैंक ने इस मामले में पाकिस्तान से कहा है कि वह इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत (आईसीए) में भेजने के बजाय […]

इस्लामाबाद : विश्व बैंक ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे किशनगंगा बांध विवाद में तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की भारत की पेशकश को स्वीकार करना चाहिए. एक मीडिया रपट के अनुसार विश्व बैंक ने इस मामले में पाकिस्तान से कहा है कि वह इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत (आईसीए) में भेजने के बजाय तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने की भारत की पेशकश को स्वीकार करे.

अखबार डान की एक खबर के अनुसार विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने पिछले सप्ताह ताजा संवाद में पाकिस्तान सरकार को सलाह दी है कि वह मामले को आईसीए में ले जाने के अपने रुख पर नहीं अड़े. पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीर में किशनगंगा बांध का निर्माण 1960 के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन है. वह इस मामले को आईसीए में ले जाना चाहता है. वहीं, भारत का कहना है कि पाकिस्तान व उसके बीच मतभेद बांध के डिजाइन को लेकर है इसलिए इसका समाधान किसी तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि पाकिस्तान हमेशा से यह दावा करता आया है कि सिंधु नदी में भारत के कई प्रॉजेक्ट्स विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हुए सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैं. विश्व बैंक ने सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी का बंटवारा करने के लिए यह समझौता करवाया था. अब सिंधु नदी पर पाकिस्तान की 80 प्रतिशत सिंचित कृषि निर्भर करती है. उसका कहना है कि बांध बनाने से न सिर्फ नदी का मार्ग बदलेगा, बल्कि पाकिस्तान में बहनेवाली नदियों का जल स्तर भी कम होगा. इसलिए इस विवाद की सुनवाई अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में होनी चाहिए. दूसरी तरफ, भारत का दावा है कि सिंधु नदी समझौते के तहत उसे पनबिजली परियोजना का अधिकार है और इससे नदी के बहाव में या फिर जलस्तर में कोई बदलाव नहीं आयेगा. भारत का कहना है कि बांध के डिजाइन को लेकर पाकिस्तान से विवाद को सुलझाने के लिए निष्पक्ष एक्सपर्ट नियुक्त किया जाना चाहिए.

इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने डॉन न्यूज को बताया कि पाकिस्तान को लगता है कि विवाद को निष्पक्ष एक्सपर्ट द्वारा सुलझाये जाने के भारत के प्रस्ताव को मानने या अपने फैसले से पीछे हटने का मतलब है कि पंचाट के दरवाजे पाकिस्तान के लिए बंद हो जायेंगे और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के हक को खो देगा. सूत्र ने कहा, यह एक उदाहरण बन जायेगा और हर बार जब दोनों देशों के बीच कोई विवाद पैदा होगा तो भारत इसे सुलझाने के लिए निष्पक्ष एक्सपर्ट नियुक्त करने की मांग करेगा. 12 दिसंबर 2016 को विश्व बैंक के अध्यक्ष ने पाकिस्तान के तत्कालीन वित्त मंत्री इशाक डार को चिट्ठी लिखकर यह बताया था कि इस मामले में दखल के लिए वह फिलहाल तैयार नहीं है और उसने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतके चेयरमैन के साथ ही निष्पक्ष एक्सपर्ट की नियुक्ति की प्रक्रिया को रोकने का फैसला लिया है.

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