सऊदी अरब : महिला के प्रेम और समर्पण की मिसाल, पति की 30 साल की पेंशन से बनवायी मस्जिद

II नेशनल कंटेंट सेल II इंसान अगर कुछ ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है. तिनका-तिनका जोड़कर भी वह अपने लिए महल खड़ा कर सकता है. लेकिन यहां बात अपने लिए महल बनवाने की नहीं, बल्कि इबादतगाह की हो रही है जिसे कर दिखाया है सऊदी अरब की एक महिला ने. उस महिला ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2018 8:02 AM

II नेशनल कंटेंट सेल II

इंसान अगर कुछ ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है. तिनका-तिनका जोड़कर भी वह अपने लिए महल खड़ा कर सकता है. लेकिन यहां बात अपने लिए महल बनवाने की नहीं, बल्कि इबादतगाह की हो रही है जिसे कर दिखाया है सऊदी अरब की एक महिला ने. उस महिला ने अपने शौहर के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के तौर पर अपने पति की 30 साल की पेंशन का तिनका-तिनका जोड़कर एक मसजिद बनवायी है.

मसजिद का नाम अपने पति के नाम पर रख कर उन्होंने उसे श्रद्धांजलि दी है. रमजान के इस पवित्र महीने में उस महिला ने इसे समाज को समर्पित कर दिया. इसके बाद उनके बेटे अल हरीबी ने सोमवार को सोशल नेटवर्किंग साइट टि्वटर पर नयी बनी मस्जिद परिसर में खड़ी मां का फोटो ट्वीट करते हुए यह जानकारी साझा की. खबर शेयर करने के बाद देखते ही देखते यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

महिला की इस कहानी ने कई लोगों के दिल को अगाध श्रद्धा और प्रेम से भर दिया. सभी लोगों ने उस महिला को सलाम किया और इसे समाज का सोच बदल देने वाला कदम बताया. मसजिद बनवाने से ज्यादा उनके समर्पण, त्याग और लगन की प्रशंसा हुई. लोगों ने कहा कि जिस शिद्दत के साथ उन्होंने एक-एक पाई जोड़ी, वह यह साबित करने के लिए काफी है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है.

कुछ ही देर में वायरल हो गया पोस्ट

अल हरीबी के ट्वीट करने के बाद यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोगों ने बड़ी संख्या में इसे ऑनलाइन शेयर किया है. महिला के अद्भुत कार्य को सराहना मिल रही है. एक शख्स ने ट्वीट किया अल्लाह उन्हें जीवन के बाद भी एकजुट करेगा.

टि्वटर भी महिला की प्रशंसा में हुआ शरीक

पति के नाम पर मस्जिद बनवानेवाली महिला के अद्भुत कार्य के पोस्ट के वायरल होने के बाद टि्वटर ने भी इसकी सराहना की. महिला के लगन की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि ‘यह प्रेम का महान स्वरूप है’.

‘मां आप कितनी महान हो, आपने मरहूम पिता की रिटायरमेंट सैलरी (पेंशन) को कभी खर्च नहीं किया. 30 वर्षों तक जुटायी रियाल से पिता के नाम पर मस्जिद का निर्माण कराया. मां का यह कदम पिता को जन्नत में सुकून देगा. वह जन्नत से फिर हमारे पास लौटना चाहेंगे.’
-अल हरीबी (बेटा)

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