बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में है नक्सली
जमुई : छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हुए हमले के बाद जमुई के जंगलों में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ गयी है. खुफिया विभाग ने भी इस बात की आशंका जतायी है. हालांकि छत्तीसगढ़ की घटना को ध्यान में रखते हुए एसपी दीपक वरनवाल ने सभी थाना को विशेष चौकसी बरतने व सूचना तंत्र […]
जमुई : छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हुए हमले के बाद जमुई के जंगलों में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ गयी है. खुफिया विभाग ने भी इस बात की आशंका जतायी है. हालांकि छत्तीसगढ़ की घटना को ध्यान में रखते हुए एसपी दीपक वरनवाल ने सभी थाना को विशेष चौकसी बरतने व सूचना तंत्र को मजबूत करने का निर्देश दिया है. राजनीतिक दलों के नेताओं के क्षेत्र आगमन के समय सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस को विशेष रूप से एलर्ट किया गया है.
भीमबांध, बटिया, खैरा तथा लक्ष्मीपुर के जंगल से जुड़े क्षेत्रों में पुलिस नक्सल गतिविधियों पर नजर रख रही है. सूत्रों की माने तो जमुई के जंगलों में शिविर लगा कर नक्सलियों के मारक दस्ता को विशेष प्रशिक्षण देने की योजना है. शिविर में महिलाएं व बाल दस्ता को भी प्रशिक्षण देने की बात सामने आ रही है.
यहां बताते चलें कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान इस क्षेत्र में नक्सलियों ने अपनी पूरी पैठ जमा ली है. यहां की भौगोलिक स्थिति (पहाड़ व जंगल) ने भी नक्सलियों का पूरा सहयोग किया है. गाहे-बगाहे यहां नक्सली घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. नक्सलियों ने सर्वप्रथम वर्ष 1998 में खैरा के दीपाकरहर में लोकसभा चुनाव करा कर लौट रहे मतदान कर्मियों व पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला कर अपनी उपस्थिति का एहसास कराया था. उसके बाद भीमबांध में बारुदी सुरंग विस्फोट कर मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू व उनके सुरक्षकर्मियों को उड़ा दिया था.
चकाई के भेलवाघाटी में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी के पुत्र सहित दर्जनों लोगों की हत्या भी नक्सलियों ने कर दी थी. इधर आशंका जतायी जा रही है कि क्षेत्र में सक्रिय नक्सली संगठन किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में है. जानकारी के अनुसार हाल के दिनों में पुलिस की बढ़ते सक्रियता की वजह से नक्सली खुल कर अपनी गतिविधि नहीं चला पा रहे हैं.