अमरनाथ यात्रियों का पूरे साल इंतज़ार करते हैं ये मुसलमान

<p>50 साल के मोहम्मद शफ़ी पहलगाम के नुनवन बेस कैंप में अपनी छोटी सी कपड़ों की दुकान पर बैठे अमरनाथ यात्रियों का इंतज़ार कर रहे हैं. मैं शफ़ी के साथ उनकी दुकान में बैठा बात कर रहा था तभी कई अमरनाथ यात्री उनकी दुकान में आकर खड़े हो गए और खरीदारी करने लगे.</p><p>भारत-प्रशासित कश्मीर में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2018 11:17 PM

<p>50 साल के मोहम्मद शफ़ी पहलगाम के नुनवन बेस कैंप में अपनी छोटी सी कपड़ों की दुकान पर बैठे अमरनाथ यात्रियों का इंतज़ार कर रहे हैं. मैं शफ़ी के साथ उनकी दुकान में बैठा बात कर रहा था तभी कई अमरनाथ यात्री उनकी दुकान में आकर खड़े हो गए और खरीदारी करने लगे.</p><p>भारत-प्रशासित कश्मीर में हर साल की तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है. भले ही ये यात्रा हिंदुओं की है लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी इससे हज़ारों कश्मीरी मुसलमान किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं.</p><p>शफ़ी कहते हैं, &quot;हम पूरे साल अमरनाथ यात्रियों का इंतज़ार करते हैं. हमारी रोजी-रोटी इनके यहां आने से चलती है. कुछ लोगों को लगता है कि हम ये सब सिर्फ पैसों के लिए करते हैं. पैसे तो हैं, लेकिन हम इन यात्रियों की बहुत क़द्र भी करते हैं. हम इनसे बहुत प्यार भी करते हैं. आप इनसे पूछ सकते हैं कि कश्मीरी कैसे हैं.&quot;</p><p>मोहम्मद शफ़ी पिछले 22 सालों से अमरनाथ यात्रा से जुड़े हैं. वो अमरनाथ गुफा के पास शेषनाग झील से पास यात्रियों के लिए टेंट लगाने का काम भी करते आए हैं.</p><p>शफ़ी कहते हैं कि 22 साल पहले की और अब की अमरनाथ यात्रा में काफी अंतर है. उन्होंने कहा, &quot;जब हम छोटे थे तब यात्रा का अपना अलग ही आनंद हुआ करता था. तब इतनी सुरक्षा नहीं होती थी. सिर्फ जम्मू-कश्मीर के कुछ जवान ही यात्रियों के साथ होते थे.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44634182">इस साल कितनी चाक चौबंद है अमरनाथ यात्रा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40565286">अमरनाथ यात्रा: जो बातें जानना ज़रूरी हैं</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40576964">अमरनाथ यात्रियों और मुसलमानों के बीच है भावनात्मक रिश्ता</a></li> </ul><p>इसी तरह 48 साल के घोड़ा चालक गुलाम रसूल की कई पीढ़ियां भी अमरनाथ यात्रा से जुड़ी रही हैं. जब वो 20 साल के थे तब पहली बार एक यात्री को घोड़े पर बिठाकर अमरनाथ गुफा तक लेकर आए थे.</p><p>गुलाम रसूल कहते हैं, &quot;यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी होने पर हम उनका साथ देते हैं. मसलन, अगर बारिश हुई और किसी के पास टेंट नहीं है तो हम उसे अपने घर ले आते हैं. इस वक़्त भी हमारे घर में यात्री हैं. ज़रूरत पड़ने पर हम इन्हें पैसे भी देते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि यात्री हमारा अकाउंट नंबर ले जाते हैं और घर पहुंचकर हमारे अकाउंट में पैसे भेज देते हैं. हम तो भरोसे पर भी काम करते हैं.&quot;</p><p>गुलाम कहते हैं कि अगर हम यात्रियों के साथ अच्छा सलूक करते हैं तो वो दूसरे यात्रियों को भी हमारे बारे में बताते हैं, उन्हें हमारा पता देते हैं.</p><p>पहलगाम बटकोट के रहने वाले मोहम्मज अफ़ज़ल मलिक का परिवार सात पीढ़ियों से अमरनाथ यात्रा से जुड़ा है. अमरनाथ गुफा उनके पूर्वजों ने ही ढूंढी थी.</p><p>दिल्ली से आए कृष्ण कुमार पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा पर आ रहे हैं. </p><p>वह पहलगाम के नुनवन बेस कैंप में रुके हैं और गुफा में जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. कृष्ण कुमार के मुताबिक उन्हें कश्मीर आने में कभी डर नहीं लगा.</p><p>मध्य प्रदेश से आए दीपक परमार पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा पर आते रहे हैं. उन्होंने कहा, &quot;मैं वापस जाकर लोगों को अफने अनुभव के बारे में बताता हूं. मैं सबको बताता हूं कि कश्मीरी लोग हमारे लिए हमेशा आगे रहते हैं.&quot;</p><p>कश्मीर में साल 1990 में हथियार बंद आंदोलन शुरू होने के बाद अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए जाते हैं.</p><p>इस साल 2,995 तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हो चुका है.</p><p>नुनवान के बेस कैंप से ये यात्रा पहलगाम के लिए रवाना हो चुकी है. इस जत्थे में 2,334 पुरुष, 520 महिलाएं, 21 बच्चे और 120 साधु शामिल हैं.</p><p>पहलगाम से ये दस्ता अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हुआ. हालांकि भारी बारिश के चलते अमरनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है.</p><p>इस साल ये यात्रा 26 अगस्त रक्षा बंधन तक चलेगी. इस यात्रा के लिए अब तक दो लाख से ज़्यादा तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है. पिछले साल दो लाख साठ हज़ार यात्रियों ने अमरनाथ की यात्रा की थी. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44654197">’जनता दरबार में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कहना ही अपराध हो गया'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44651386">स्विस बैंकों में 50% बढ़ा भारतीयों का धन</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-cap-44643957">कहाँ और क्यों चोरी हो रहे हैं उल्लू और बाज़</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi/">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Next Article

Exit mobile version