यूरोपीय देशों का शिक्षा के लिए चयन करना एक अच्छा कदम माना जाता है. यूरोप में सेनेगन एरिया आता है. 26 देश इसके सदस्य हैं. इन देशों में कम खर्च में अच्छी पढ़ाई उपलब्ध है. साथ ही कोर्स के दौरान अन्य यूरोपीय भाषाओं को भी सिखाया जाता है, जिससे पढ़ाई के बाद विभिन्न देशों में नौकरी मिलना आसान हो जाता है.
पिछले अंको में हमने उन देशों में पढ़ाई की संभावनाओं की बात की, जो आर्थिक रूप से सस्ते हैं और शिक्षा के मामले में कोई कोताही नहीं बरतते. आज हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे कि यूरोप की शिक्षा क्यों विश्व स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है.
जानें सेनेगन एरिया क्या है
यूरोप के कई ऐसे देश हैं, जहां शिक्षा विश्व स्तरीय गुणवत्ता के साथ-साथ बेहद सस्ती होती है. यूरोप में कुल 28 देश हैं. इनमें से 26 देश सेनेगन एरिया में आते हैं. सेनेगन एरिया यूरोपियन देशों द्वारा बनाया गया एक ग्रुप है, जहां करेंसी के रूप में यूरो प्रचलित है. यूरोपियन यूनियन में से यूनाइटेड किंगडम और क्रोसिया को छोड़ कर बाकी सभी देश सेनेगन के सदस्य हैं. यहां पर अधिकतर देशों में शिक्षा बेहद सस्ती है. सस्ती का अर्थ पढ़ाई पर होनेवाले खर्च से है. सिर्फ यही नहीं, सेनेगन के सदस्य देशों की एक और विशेषता है. सेनेगन के सदस्यों में से किसी एक देश में यदि आप प्रवेश करते हैं, तो अन्य देशों में भी जाने के अधिकारी हो जाते हैं (इसके लिए आपको अगले देश के अधिकारी से सिर्फ लिखित आदेश प्राप्त करना होता है).
लिथुआनिया में करें पढ़ाई
लिथुआनिया का उदाहरण लें, तो यहां पर किसी प्रोग्राम पर प्रति वर्ष खर्च होनेवाली ट्यूशन फीस लगभग साढ़े तीन से पांच लाख रुपये के बीच होती है. यहां रहने का खर्च सामान्यत: 15 हजार रुपये मासिक के आस-पास होता है. प्रवेश पाने के लिए कएछळर जैसे किसी टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है. सामान्यत: या तो अंगरेजी का एक संस्थागत टेस्ट देना होता है या फिर यह सिद्ध करना होता है कि आपने कम से कम पिछले पांच वर्षो की पढ़ाई अंगरेजी माध्यम में की है. इसके लिए आप अपने स्कूल या कॉलेज से ऑफिशियल लेटर हेड पर लिखवा कर दे सकते हैं. आप उस यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू होने के बाद अंगरेजी भाषा सिखानेवाले क्लास में हिस्सा ले सकते हैं. सामान्यत: ये क्लास निशुल्क होते हैं.
प्रवेश का जानें तरीका
प्रवेश के लिए छात्रों को अपने शैक्षणिक अंक पत्रों और प्रमाण पत्रों के साथ पासपोर्ट की आवश्यकता होती है. आवेदन के लिए 100 से 400 यूरो तक फीस हो सकती है. प्रवेश निश्चित होने के बाद वीजा के लिए निम्नलिखित चीजें जरूरी होती हैं-
अप्लीकेशन प्रोसेसिंग फीस
कागजात की नोटरी और कुरियर चार्जेज
माइग्रेशन डिपार्टमेंट के कार्य
रश्उ फ्रॉम मिनिस्ट्री
भारतीय नोर्का (ठअफअ) फीस
ट्रैवल इंश्योरेंस
कागजात का लिथुआनिया की भाषा में ट्रांसलेशन.
इसके बाद भी आवश्यकतानुसार और कुछ कार्य करने पड़ सकते हैं.
अन्य फायदे
लिथुआनिया जैसे यूरोपियन देश में पढ़ने के साथ-साथ छात्र अन्य भाषाओं जैसे जर्मन, फ्रेंच आदि की शिक्षा नि:शुल्क ले सकते हैं. इसके बाद उन्हें यूरोप के ही किसी भी देश में नौकरी करने का मौका मिलता है. यूरोप के किसी देश का अर्थ है जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, स्पेन, पोलैंड, स्विट्जरलैंड आदि. संबंधित देश के नियमों के आधार पर परमानेंट रेजीडेंसी की भी संभावना होती है.
यूरोप खुद में है खास
यूरोप में पढ़ना अपने आप में एक बेहद ही रोमांचक अनुभव है. यहां की यूनिवर्सिटीज अनुसंधान आधारित पढ़ाई की तरफ झुकाव रखती हैं. यहां पर सामाजिकता का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है. सामाजिकता का अर्थ है किसी विशेषी पढ़ाई से उस देश और पूरे समाज को कितना और कैसे लाभ मिलता है. लगभग हर विषय में सभी तरह के प्रोग्राम्स उपलब्ध होते हैं, जैसे बैचलर्स, मास्टर्स, पीएचडी आदि. आपको बैचलर्स स्तर पर सामान्य विषयों में पढ़ाई के अलावा आर्किटेर, एविएशन इंजीनियरिंग, बायोमेडिकल, वाटर इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग, वुड इंजीनियरिंग, मेटेरियल साइंस जैसे प्रोग्राम भी मिलते हैं. यहां क्लासेज अगस्त/ सितंबर माह में प्रारंभ होती हैं. प्रवेश और वीजा की प्रक्रिया पूरा करने में कुल मिला कर दो से तीन महीने का समय लगता है.
अमरेश कुमार राय
अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार
ceo@raiaa.in