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पाकिस्तान चुनाव : इमरान की पार्टी ने जीती सबसे ज्‍यादा 118 सीटें, नवाज की पार्टी ने ”धांधली” का लगाया आरोप

इस्लामाबाद : क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पाकिस्तान में सहयोगी दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से सरकार बनाने के करीब पहुंच गये हैं. खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं ने अगला कदम और भविष्य के कैबिनेट के गठन पर चर्चा के लिए शुक्रवार को बैठक की. खान ने बानी […]

इस्लामाबाद : क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पाकिस्तान में सहयोगी दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से सरकार बनाने के करीब पहुंच गये हैं. खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं ने अगला कदम और भविष्य के कैबिनेट के गठन पर चर्चा के लिए शुक्रवार को बैठक की. खान ने बानी गाला स्थित अपने घर पर पीटीआई के शीर्ष नेताओं की एक बैठक की अध्यक्षता की जहां पार्टी नेताओं ने खान को भरोसा दिलाया कि उनके पास सरकार बनाने के लिए संख्या हो जायेगी. संसदीय चुनाव में पीटीआई अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.

कुल 270 सीटों के लिए चुनाव हुआ था जिसमें से खान की पार्टी पीटीआई ने 118 सीटें जीती हैं. उनकी पार्टी दो और सीटों पर आगे है जिस पर मतगणना अभी चल रही है. चुनाव आयोग ने अब तक नेशनल असेंबली की 265 सीटों के परिणाम घोषित किये हैं. इसके अनुसार खान की पीटीआई के बाद दूसरे नंबर पर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल – एन) है, जिसने 62 सीटें जीती हैं. वहीं पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) तीसरे स्थान पर है, जिसने 43 सीटें जीती हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 12 सीटें जीती हैं.

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं जिसमें से 272 सीधे चुने जाते हैं. कोई भी पार्टी कुल 172 सीटें प्राप्त करके सरकार बना सकती है. रावलपिंडी की अडियाला जेल में नवाज शरीफ से मुलाकात करने गये उनकी पार्टी के कई नेताओं ने कहा कि शरीफ ने पार्टी के आरोपों को दोहराया और कहा कि चुनाव में ‘धांधली’ हुई है और ‘गलत और संदेहास्पद’ परिणाम देश की राजनीति पर खराब प्रभाव डालेंगे. डॉन समाचारपत्र की खबर के मुताबिक चुनावों में हुई कथित धांधली को लेकर एक संयुक्त रणनीति पर विचार करने के लिए बुलायी गई विभिन्न दलों की एक बैठक में चुनाव परिणामों को खारिज किया गया और फिर से ‘निष्पक्ष’ चुनाव कराने की मांग की गयी.

इस्लामाबाद में हुई इस बैठक की अध्यक्षता पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ और मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल (एमएमए) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने की जिसमें विभिन्न पार्टियों के नेता शामिल हुए. अखबार ने रहमान के हवाले से कहा, ‘हम इस चुनाव को लोगों का जनादेश नहीं मानते. सभी पार्टियों के सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 25 जुलाई को हुए चुनाव को पूरी तरह खारिज किया है.’ इस बैठक में जमात-ए-अस्लामी के प्रमुख सीनेटर सिराजुल हक, सिंध के राज्यपाल मोहम्मद जुबैर, आवामी नेशनल पार्टी के प्रमुख असफंदयार वली खान, कौमी वतन पार्टी के प्रमुख आफताब अहमद खान शेरपाओ, नेशनल पार्टी के सीनेटर मीर हासिल बिजेंजो और एमएमए के कई नेता शामिल थे.

जमात-ए-इस्लामी जैसे धार्मिक दलों के गठबंधन मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल (एमएमए) ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज इलाही की पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने पांच सीटें जीती हैं. चुनाव आयोग के नतीजे के अनुसार कराची की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) को छह सीटें मिली हैं. पीटीआई के वरिष्ठ नेता जहांगीर तरीन ने एमक्यूएम नेताओं को कॉल किये जिसमें बाद पार्टी ने पीएमएल-एन की ओर से बुलायी गयी राजनीतिक पार्टी की बैठक में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया.

विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षित 29 और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित चार या पांच सीटें हासिल करने के बाद 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई की ताकत 160 हो जायेगी. खान की सहयोगी पीएमएल-क्यू ने पांच सीटें जीती हैं और उसे महिलाओं के लिए आरक्षित एक सीट भी मिल सकती है. अवामी मुस्लिम लीग के शेख रशीद पहले ही खान का समर्थन कर रहे हैं. पीटीआई एमक्यूएम के साथ सम्पर्क में है जिसने खान को समर्थन का भरोसा दिया है. कबायली क्षेत्र में जीत दर्ज करने वाले कुछ निर्दलीयों की पीटीआई से बातचीत चल रही है और वे खान को समर्थन दे सकते हैं. इससे खान को 173 का सामान्य बहुमत हासिल करने में मदद मिलेगी. कुछ छोटे बलोच दल और एमक्यूएम भी खान का समर्थन कर सकते हैं.

दुनिया न्यूज के अनुसार पीटीआई के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने कहा कि उनके पास केंद्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या है. खान ने गुरुवार को अपना पहला भाषण दिया जिसका सीधा प्रसारण वीडियो लिंक के जरिये किया गया. खान ने चुनाव में जीत का दावा किया और कहा कि वह चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच को तैयार हैं. पीएमएल-एन और पीपीपी सहित छह प्रमुख पार्टियों के मतगणना में धांधली के आरोपों के बीच खान ने कहा, ‘यदि किसी के गड़बड़ी के आरोप हैं तो हम आपकी मदद करेंगे और आप जिस भी सीट के बारे में जांच चाहें, हम उसे शुरू करेंगे.’

चुनाव के बाद रावलपिंडी स्थित अडियाला जेल में नवाज से मिलने गए उनकी पार्टी के कई नेताओं के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के आरोपों को दोहराया और कहा कि चुनाव को में धांधली हुई है और ‘दागी और संदिग्ध’ नतीजे देश की राजनीति पर ‘खराब प्रभाव’ डालेंगे. नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव बुधवार को हुआ था. बहरहाल, नतीजों के मुताबिक प्रांतीय विधानसभाओं में पीएमएल-एन पंजाब में आगे है जहां की 297 सीटों में से 127 सीटें जीतकर वह प्रांत की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है. हालांकि पार्टी बहुमत से दूर है.

पीटीआई को 123 सीटें मिली हैं और उसकी निर्दलीयों के साथ बातचीत चल रही है जिसमें से अधिकतर ने चुनाव से पहले पीएमएल-एन से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. निर्दलीय उम्मीदवारों को 29 सीटें मिली हैं जो पंजाब में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. पंजाब प्रांत में 2008-2018 के बीच दो बार से पीएमएल-एन का शासन है. खान की सहयोगी पीएमएल-क्यू को प्रांत में सात सीटें मिली हैं. 297 सदस्यीय सदन में सरकार बनाने के लिए 149 सीटों की जरूरत पड़ेगी. पीटीआई ने पंजाब में भी सरकार बनाने की पहले ही घोषणा कर दी है. इस कदम से खरीद-फरोख्त के आरोप लग सकते हैं. सिंध प्रांत में पीपीपी को स्पष्ट बहुमत मिला है. उसने सदन की 131 सीटों में से 74 पर जीत दर्ज की है. पीटीआई 22 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर है. वहीं एमक्यूएम ने 16 सीटें जीती हैं.

पीटीआई ने 99 सदस्यीय खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में 66 सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत हासिल किया है. वहीं एमएमए 10 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. नव गठित बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) 13 सीटों के साथ बलूचिस्तान विधानसभा में शीर्ष पर है. हालांकि 51 सदस्यीय विधानसभा में बीएपी बहुमत नहीं प्राप्त कर पायी. एमएमए नौ सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. बलूचिस्तान नेशनल पार्टी और निर्दलीयों को पांच पांच सीटें मिली हैं. पीटीआई ने चार सीटें जीती हैं. पीएमएल-एन प्रमुख शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में एक सर्वदलीय बैठक बुलायी है जिसमें पीपीपी, एमएमए और कई छोटी पार्टियों के शामिल होने की संभावना है. पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हस्तांतरण हो रहा है. वर्ष 1947 में आजादी के बाद से सेना ने अलग-अलग मौकों पर तख्तापलट के जरिये देश के इतिहास में लगभग आधे समय तक शासन किया है.

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