85 किलो की लड़की ने कैसे बनाए सिक्स पैक एब्स?

"मैं बहुत फूडी थी, खूब उल्टा-सीधा खाती थी, जंक फ़ूड मेरे फेवरेट थे, इतना ही नहीं मैं एल्कोहोलिक भी थी, आप यक़ीन करेंगे मेरा वज़न 85 किलो हो गया था" अपने किचन में ग्रीन टी बनाते हुए मधु झा अपने बारे में बताना शुरू करती हैं. मधु चाय ऑफ़र करती हैं लेकिन यह कहते हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2018 4:17 PM

"मैं बहुत फूडी थी, खूब उल्टा-सीधा खाती थी, जंक फ़ूड मेरे फेवरेट थे, इतना ही नहीं मैं एल्कोहोलिक भी थी, आप यक़ीन करेंगे मेरा वज़न 85 किलो हो गया था"

अपने किचन में ग्रीन टी बनाते हुए मधु झा अपने बारे में बताना शुरू करती हैं.

मधु चाय ऑफ़र करती हैं लेकिन यह कहते हुए कि मेरे घर में चीनी नहीं आती…..और मैं बिलकुल चीनी नहीं लेती.

जब तक वो किचन में थीं, हमारी नज़रों के सामने सूट-सलवार पहने एक आम भारतीय महिला की छवि बनी हुई थी.

हां, कमरे के ऊपर की शेल्फ़ में रखी ट्रॉफ़ियां ज़रूर कह रही थीं कि 5 फुट 6 इंच की यह लड़की कोई आम नहीं है.

इसके बाद मधु अपना बैग उठाती हैं और चल पड़ती हैं उस तरफ जो उनकी असल पहचान है, यानी अपने जिम की तरफ.

उभरे हुए कंधे, चेहरे पर अज़ीब सी सख्ती, पर नज़रों में उतनी ही गहराई. सड़क पर चलते हुए बाक़ी लोगों को एक लड़की की यह शारीरिक बनावट काफ़ी अलग जान पड़ती है.

लोग मधु को घूरते हुए देखते हैं, मधु उन्हें देख मुस्कुराती हैं और कहती हैं, ‘जब कभी जिम के लिए निकलो तो लोग ऐसे ही देखते हैं, उन्हें लगता है कि ये कौन है, कभी-कभी तो लोग सेल्फ़ी लेने आ जाते हैं.’

जिम के भीतर बॉडीबिल्डर मधु

ट्रैक पैंट पहने और स्किन टाइट टीशर्ट के साथ 30 साल की मधु ने अपने कंधों के ऊपर 40 किलो वज़न उठाया और 10-10 के सेट करने लगीं.

इसके बाद उन्होंने पुशअप करने शुरू किए, फिर डंबल उठा कर बाज़ुओं की कसरत की और फिर रिंग में लटकते हुए अपने एब्स पर काम किया.

पसीने से तर-बतर मधु ने हमारी ओर देखा और फिर अपनी कहानी आगे बढ़ाई, ‘मैं बिहार की रहने वाली हूं, कोलकाता से ग्रेजुएशन किया और आठ साल पहले मैं दिल्ली आ गई. मैं नोएडा के एक इंस्टिट्यूट में डिज़ाइनिंग टीचर हूं.’

मधु अपने बारे में बता रही थीं और हमारी नज़र उनकी मसल्स पर टिकी हुईं थीं. उन्होंने यह भांपते हुए कहा, ‘यह सब पिछले तीन साल में बनाया है, उससे पहले मैं एक मोटी लड़की हुआ करती थी और मुझे अपने मोटापे से प्यार था. मुझे फ़र्क नहीं पड़ता था दूसरे मुझे क्या बोल रहे हैं ‘

अगर फ़र्क नहीं पड़ता था तो ऐसा क्या हुआ जो अपने शरीर की पूरी काया ही पलट दी? मधु हंसते हुए इस सवाल का जवाब देती हैं, ‘मुझे तो फ़र्क नहीं पड़ता था लेकिन मेरे परिवार को पड़ता था. मेरा भाई मुझे छोटा हाथी कहने लगा था, बहन कहती थी कि फ़ुटबॉल के नीचे दो टायर लगा दिए हैं.’

‘सीढ़ियां चढ़ते हुए जब मेरी सांस फूलने लगी और पीठ में दर्द रहने लगा तो मेरे परिवार ने ज़बरदस्ती मुझे जिम ज्वाइन करवा दिया. उन्होंने एक साल की फ़ीस भर दी और कहा कि अब तो जाना ही पड़ेगा.’

वो 21 दिन

जिस इंसान को खूब पार्टी करने का शौक़ हो, जो हमेशा खाता-पीता रहे. उसे अचानक एक दिन जिम में धकेल दिया जाए तो उसके लिए उससे बुरी सुबह कोई दूसरी नहीं हो सकती.

कुछ ऐसा ही अनुभव मधु का था. वो उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, ‘पहले दिन तो मेरे ट्रेनर ने बस हल्का-फुल्का वॉर्मअप ही करवाया, लेकिन मैं 20 मिनट में ही बुरी तरह थक गई. अगले दिन घर से जिम जाने का बोल कर निकली लेकिन दोस्तों के साथ पार्टी करने चली गई, मैंने सोचा पार्टी से अच्छा और क्या हो सकता है.’

मधु बताती हैं कि इसके बाद उनके ट्रेनर ने बड़े ही गंभीर लहज़े में उनसे बात की. ट्रेनर ने उनसे कहा कि वे 21 दिन तक लगातार जिम आएं, अगर इन 21 दिनों में उन्हें अपने शरीर में फ़र्क महसूस नहीं हुआ और तब भी उन्हें लगा कि जिम से ज्यादा अच्छा पार्टी करना है तो वे साल भर की फ़ीस लौटा देंगे.

इन 21 दिनों ने मधु की ज़िंदगी पूरी तरह बदल कर रख दी. उनका वज़न कम होने लगा, शरीर में थकावट की जगह अब नई ऊर्जा भरने लगी. शुरुआत में जोड़ों में दर्द तो हुआ लेकिन मधु इसे अब स्वीट पेन कहती हैं. इस दर्द से उन्हें प्यार होने लगा क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा था कि उनका शरीर अब अच्छी शेप में आ रहा है.

बॉडी बिल्डिंग

मधु ने अपना वज़न कम करते हुए 50 किलो तक कर दिया. उनके शरीर के रिफ्लेक्स काफी अच्छे हो गए. इसके बाद भी मधु ने जिम जाना लगातार जारी रखा.

मधु के मुताबिक उन्हें जिम जाने की लत सी लग गई थी. वे कहती हैं, ‘मैं अगर जिम ना जाऊं तो शरीर में अजीब सी बैचेनी होने लगती. धीरे-धीरे मेरे ट्रेनर ने मुझे बॉडी बिल्डिंग की तरफ जाने की सलाह दी और फिर उन्होंने मुझे रजत सर और बिंदिया मैम से मिलवाया.’

यहां से मधु की एंट्री बॉडी बिल्डिंग की तरफ होने लगी. अब वो शरीर को अच्छी शेप देने के साथ-साथ अपनी मसल्स बनाने पर भी ज़ोर देने लगीं.

अपने बाजुओं को ऊपर उठाते हुए मधु अपनी मसल्स दिखाते हुए कहती हैं, ‘मैंने हर रोज कम से कम दो घंटे प्रैक्टिस की, वजन उठाने की कोशिशें ज़्यादा हो गईं, मेरा डाइट चार्ट बन गया था, जिसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट बढ़ा दिया गया.’

मधु ने साल 2018 में पहली बार बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेना शुरू किया. वो इसी साल मई में नोएडा में आयोजित हुए फ़िटलाइन क्लासिक फ़िटनेस कॉम्पिटीशन के फ़ाइनल में पहुंचने में कामयाब हुईं, इसके एक हफ्ते बाद ही भारत की पहली महिला एनबीबीयूआई (नेचुरल बॉडी बिल्डिंग यूनियन इंटरनेशनल) प्रो कार्ड होल्डर बन गईं. प्रो कार्ड होल्डर होने का मतलब है वे प्रोफेशनल बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटीशन में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं.

मधु के सख्त पेट पर उनके सिक्स पैक एब्स दिखाई देते हैं, जो कि आमतौर पर लड़कियों की बनाई गई नाज़ुक छवि के उलट दिखाई देता है.

उनकी ट्रेनर बिंदिया शर्मा कहती हैं, ‘जब पहली बार मैंने मधु को देखा तो उन्होंने काफ़ी वजन घटाया हुआ था लेकिन वो बेहद कमज़ोर नज़र आ रही थीं. हालांकि उनके शरीर को देखकर लग गया था कि अगर थोड़ी मेहनत की जाए तो यह बहुत अच्छी बॉडी बिल्डर बनकर उभरेंगी.’

पहली बार पहनी बिकनी

नोएडा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय इवेंट में मधु ने बिकनी राउंड में हिस्सा लिया. वे पहली बार बिकनी पहनकर पब्लिक के सामने आ रही थीं. उस राउंड से पहले मधु बेहद नर्वस थीं.

वे उन पलों को याद करते हुए कहती हैं, ‘मैंने कभी किसी के सामने बिकनी नहीं पहनी थी, बिहार से आने वाली एक लड़की अब बिकनी राउंड में हिस्सा लेगी, यह सोचकर ही मैं नर्वस हो रही थी. लेकिन मेरे दोनों ट्रेनर मेरे साथ थे, जब मैं स्टेज पर चढ़ी तो मैंने सिर्फ़ अपने ट्रेनर की तरफ देखा और परफॉर्म करती रही. उस टूर्नामेंट में मैं चौथे स्थान पर रही. यह मेरे लिए बड़ी कामयाबी थी.’

मधु कहती हैं कि जब वे इंस्टिट्यूट में बच्चों को पढ़ाने जाती हैं तो वे सभी उनसे उनकी बॉडी के बारे में पूछते हैं. लड़के-लड़कियां सभी कहते हैं कि वे उनके जैसी मसल्स बनाना चाहते हैं.

जिम में अपनी कहानी सुनाते-सुनाते मधु कई तरह की और भी एक्सरसाइज करती रहीं. शाम होते-होते उन्होंने पूछा, ‘भूख लग गई है, क्या आप लोग छोले-भटूरे खाएंगे?’

हमने हंसते हुए कहा एक बॉडी बिल्डर को तो तला हुआ खाना मना होता है, रहने दीजिए.

मधु मुस्कुराई और चिकन सैंडविच हमारी तरफ बढ़ाते हुए कहने लगीं, ‘खाना सब कुछ चाहिए, बस वो खाना अच्छा और साफ़ हो इसका ध्यान रखें.’

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

]]>

Next Article

Exit mobile version