रूसी प्रधानमंत्री ने अमेरिका को दी चेतावनी, प्रतिबंध का देगा कड़ा जवाब
मॉस्को : रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका को प्रतिबंध बढ़ाने पर शुक्रवार को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मॉस्को आर्थिक, राजनीतिक और अन्य अज्ञात माध्यमों से इसका जवाब देगा. दमित्री मेदवेदेव का कड़ा संदेश अमेरिका के नये प्रतिबंधों का संकेत दिये जाने के बाद जारी हुआ, जिसे क्रेमलिन रेड लाइन के […]
मॉस्को : रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका को प्रतिबंध बढ़ाने पर शुक्रवार को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मॉस्को आर्थिक, राजनीतिक और अन्य अज्ञात माध्यमों से इसका जवाब देगा. दमित्री मेदवेदेव का कड़ा संदेश अमेरिका के नये प्रतिबंधों का संकेत दिये जाने के बाद जारी हुआ, जिसे क्रेमलिन रेड लाइन के तौर पर देखता है. अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस की मुद्रा रूबल दो वर्षों में सबसे निचले स्तर पर चली गयी है.
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अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को कहा कि वॉशिंगटन ने इस हफ्ते कहा था कि मॉस्को ने नोविचोक नर्व एजेंट जहर का इस्तेमाल रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रीपल और उनकी बेटी पर ब्रिटेन के सैलिसबरी शहर में किया था और इस महीने के अंत तक प्रतिबंध लगाये जायेंगे. जहर देने के मामले में संलिप्तता से रूस ने पूरी तरह इंकार किया है.
विदेश विभाग के मुताबिक, प्रतिबंधों में रूस को कई सामान खरीदने के लिए निर्यात लाइसेंस नहीं दिया जायेगा. कुछ खबरों में संकेत दिया गया कि संभावित प्रतिबंधों में रूस के सरकार नियंत्रित बैंकों को निशाना बनाया जा सकता है और डॉलर में उनके लेन-देन पर रोक लगायी जा सकती है, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है.
मेदवेदेव ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इस तरह की पहल से वह खतरे की सीमा रेखा को पार कर जायेगा. उन्होंने कहा कि अगर बैंक के कामकाज या मुद्रा के प्रयोग जैसे प्रतिबंध लगाये जाते हैं, तो इसे आर्थिक युद्ध की घोषणा माना जायेगा और इसका आर्थिक तरीके से, राजनीतिक तरीके से और जरूरत पड़ी, तो दूसरे माध्यमों से जवाब दिया जायेगा. हमारे अमेरिकी दोस्तों को इसे समझना चाहिए.
मेदवेदेव का कड़ा बयान राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और उपराष्ट्रपति के बयान से भिन्न है, जिन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों के रूस की अर्थव्यवस्था पर असर को तवज्जो नहीं देने का प्रयास किया. अमेरिका के नये प्रतिबंधों की घोषणा से रूस की मुद्रा और स्टॉक मार्केट पर बुरा असर पड़ा है. आज शुरुआती दौर में रूबल अगस्त, 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.
शीत युद्ध के बाद से रूस अमेरिका के बीच संबंध काफी खराब हुए हैं. यूक्रेन, सीरिया में लड़ाई और 2016 के अमेरिकी चुनावों में रूस के हस्तक्षेप के आरोपों के कारण उनके संबंधों में दरार आयी है. मेदवेदेव ने कहा कि अमेरिका कहता है कि प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस के खराब बर्ताव के लिए उसे दंडित करना है, लेकिन उसका असली लक्ष्य अपने प्रतिद्वंद्वी को दरकिनार करना है. उन्होंने कहा कि उसका उद्देश्य रूस को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य से कड़े प्रतिद्वंद्वी के तौर पर हटाना है.