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झारखंडः 200 करोड़ के ठेके पर मंत्री पुत्र की नजर!

-आनंद मोहन- रांचीः झारखंड सरकार एक तरफ राज्य में विकास कार्यो में तेजी लाने का प्रयास कर रही है. नयी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की गयी है. वहीं दूसरी ओर, सरकार के कुछ विभागों में नियमों को ताक पर रख कर फैसले लिये जा रहे हैं. एक मंत्री के विभागों में उनके पुत्र की चलती […]

-आनंद मोहन-

रांचीः झारखंड सरकार एक तरफ राज्य में विकास कार्यो में तेजी लाने का प्रयास कर रही है. नयी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की गयी है. वहीं दूसरी ओर, सरकार के कुछ विभागों में नियमों को ताक पर रख कर फैसले लिये जा रहे हैं. एक मंत्री के विभागों में उनके पुत्र की चलती है. फैसला बेटे का होता है, पिता सिर्फ फाइल पर साइन करते हैं. मंत्री पुत्र ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी खूब कीर्तिमान बना रहे हैं. मंत्री के विभागों में उनके रिश्तेदार भी हावी हैं.

झारखंड सरकार के एक मंत्री के विभाग उनके पुत्र चला रहे हैं. विभाग के सभी फैसले बिना मंत्री पुत्र के नहीं होते. सूचना है कि राज्य के एक महत्वपूर्ण संस्थान के निदेशक मंत्री पुत्र के इशारे पर ही बदले गये. बताया जाता है कि इस संस्थान में आधारभूत संरचना को लेकर 200 करोड़ से अधिक का टेंडर होना है. अभी से ही टेंडर मैनेज करने की तैयारी चल रही है. चर्चा है कि अपने लोगों को काम देने के लिए मंत्री पुत्र ने मनपसंद निदेशक की पोस्टिंग करायी है. जानकारों के अनुसार नये निदेशक बनाने में नियमों को भी ताक पर रखा गया है.

खरीदारी में भी कमीशन की तैयारी : मंत्री के विभाग के अंदर निगम का गठन किया गया है. मंत्री पुत्र ने यहां भी अपनी पसंद के अधिकारी को जिम्मेदारी दे दी है. पहले से इस विभाग में सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे अधिकारी को ही निगम का एमडी बना दिया. इस निगम के माध्यम से करोड़ों की खरीदारी होनी है. सूचना है कि इसमें भी मंत्री पुत्र के सुझाव पर रास्ता सचिव इस निगम के पहले से पदेन अध्यक्ष थे. अब एमडी का भी काम करेंगे. मंत्री पुत्र का उक्त अधिकारी को पूरा आशीर्वाद है.

एक व्यक्ति के लिए नियम बदलने की तैयारी : मंत्री के अधीन आनेवाले एक संस्थान को विभिन्न कंपनियों में बांट दिया गया है. नयी कंपनियों में कोई पदाधिकारी नहीं है. यहां भी कुछ ठेके निबटाये जाने हैं. पदाधिकारी नहीं होने के कारण ठेके को अंतिम रूप देना संभव नहीं हो रहा है. मंत्री जी चाहते हैं कि ठेके को अंतिम रूप दे दिया है. इस काम में पुराने लोग ही शामिल हों. इसलिए नयी कंपनियों में पुराने लोगों को ही महत्वपूर्ण पद देने के लिए नियम बदलने का दबाव डाला. सरकार भी उनके दबाव में आ गयी. अधिकारियों के नियम और कानून के तर्क धरे रह गये. नियम बदलने के लिए कागजी प्रक्रिया पूरी की जा रही है.

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