नयी दिल्ली : पूर्व लोकसभा अध्यक्ष अनंतशायनम अयंगर ने एक बार कहा था कि लोकसभा में अंग्रेज़ी में हीरेन मुखर्जी और हिंदी में अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छा वक्ता कोई नहीं मौजूद है. जब वाजपेयी के एक नज़दीकी दोस्त ने उन्हें इसकी जानकारी दी थी तो वाजपेयी ने ज़ोर से हंस पड़े थे और कहा था कि तो फिर बोलने क्यों नहीं देता…हालांकि, उस ज़माने में वाजपेयी बैक बेंच में बैठे नजर आते थे, लेकिन नेहरू बहुत ध्यान से वाजपेयी द्वारा उठाये गये मुद्दों को सुना करते थे.
किंगशुक नाग अपनी किताब ‘अटलबिहारी वाजपेयी- ए मैन फ़ॉर ऑल सीज़न’ में लिखते हैं कि एक बार नेहरू ने भारत यात्रा पर पहुंचे एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वाजपेयी को मिलवाते हुए कहा था कि इनसे मिलिए. ये विपक्ष के उभरते हुए युवा नेता हैं…. हमेशा मेरी आलोचना करते ये दिखते हैं लेकिन इनमें मैं भविष्य की बहुत संभावनाएं देख रहा हूं.
एक बार एक दूसरे विदेशी मेहमान से नेहरू ने वाजपेयी का परिचय संभावित भावी प्रधानमंत्री के रूप में भी कराया था. वाजपेयी के मन में भी नेहरू के लिए बहुत इज़्ज़त थी. 1977 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभालने साउथ ब्लॉक के अपने दफ़्तर पहुंचे तो उन्होंने नोट किया कि दीवार पर लगा नेहरू का एक चित्र वहां मौजूद नहीं है.
किंगशुक नाग बताते हैं कि उन्होंने तुरंत अपने सचिव से पूछा कि नेहरू का चित्र कहां है, जो यहां लगा नजर आता था. उनके अधिकारियों ने ये सोचकर उस चित्र को वहां से हटवा दिया था कि इसे देखकर शायद वाजपेयी नाराज हो जायेंगे. वाजपेयी ने आदेश दिया कि उस चित्र को वापस लाकर उसी स्थान पर लगाया जाए जहां वह पहले लगा हुआ था.