अटलजी के लिए राष्ट्रहित हमेशा सर्वोपरि रहा
मोहन गुरुस्वामी ,वरिष्ठ टिप्पणीकार अटल जी जिस दौर में प्रधानमंत्री बने, उस समय उनसे बेहतर कोई राजनीतिक शख्सियत नहीं थी. अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों को साथ लेकर चलने की उनके अंदर एक खास कला थी. सभी लोगों को बिठाकर उनसे चर्चा करके निष्कर्ष निकालना उनकी खूबी में शुमार था. वह आम लोगों की बात को […]
मोहन गुरुस्वामी ,वरिष्ठ टिप्पणीकार
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की चर्चा के लिए उन्होंने सबको बुलाकर बात की. जब सबने कहा कि यह अच्छा विचार है, तो एक पल की भी देरी नहीं की. तुरंत दूसरे दिन उन्होंने इस योजना की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा इस योजना का प्लान तैयार कीजिए. उनसे कहा गया कि 50 हजार करोड़ का खर्च है और तैयारी चौथाई भी नहीं. लेकिन, उन्होंने फैसला कर लिया और कहा कि इसे करके रहेंगे. यह उनके अंदर निर्णय लेने का साहस ही था.
एक विपक्ष के नेता के तौर पर अटल जी के कार्यकाल और काम करने का अंदाज बेहद सराहनीय रहा. पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव और चंद्रशेखर के साथ भी अटल जी का तालमेल बेहतरीन था. उनके साथ रिश्ते सभी नेताओं के बहुत अच्छे रहे. आडवाणी जी कोई भी फैसला लेने में हिचकते नहीं थे, जबकि वह हर फैसले को सर्वसम्मति से लेना चाहते थे. वह दूसरे लोगों को भी परखते थे. राममंदिर मामले में वह स्पष्ट रूप में कुछ भी कहने से बचते रहे. जब बाबरी ढांचा गिराया गया, तो उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से मुझे दुख हुआ. हालांकि, उससे पहले कई बार वह कहते रहे कि जब तक यह मस्जिद खड़ी है, वह देश के लिए कलंक है. जिस तरीके से बाबरी को गिराया, उससे वह दुखी हुए थे.
वह बहुत तोल-मोल कर बोलनेवाले राजनेता थे. वह अक्सर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे, जिनसे लोगों को दुख न पहुंचे. देश में हाइवे बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य उनके कार्यकाल में हुए. साथ ही पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में उनका प्रयास बहुत ही सराहनीय था. वह चाहते थे कि उनके कार्यकाल में कश्मीर समस्या का समाधान हो जाये, लेकिन दुर्भाग्यवश मुशर्रफ के रवैये के चलते वह काम नहीं हो सका. वाजपेयी जी ने अपने कार्यकाल में कई सराहनीय पहलें कीं.