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अमरीका: ग्वांतानामो जेल से रिहा क़ैदी चरमपंथ की ओर

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन रिहा हुए क़ैदी फिर से चरमपंथ की ओर एक अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ग्वांतानामो जेल से रिहा हुए क़ैदियों में से 17 प्रतिशत के बारे में ये पूरे यक़ीन से कहा जा सकता है कि वो दोबारा से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा […]

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रिहा हुए क़ैदी फिर से चरमपंथ की ओर

एक अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ग्वांतानामो जेल से रिहा हुए क़ैदियों में से 17 प्रतिशत के बारे में ये पूरे यक़ीन से कहा जा सकता है कि वो दोबारा से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल हो गए हैं.

इसके अलावा डायरेक्टर नेशनल इंटेलिजेंस की इस रिपोर्ट का कहना है कि रिहा हुए क़ैदियों में से 12 प्रतिशत पर इस बात का शक है कि वो चरमपंथी गतिविधियों में शामिल हैं.

अमरीका में कई फ़ौजी अधिकारी और रिपब्लिकन सांसद अमरीकी फ़ौजी सार्जेंट बो बर्गडैल के बदले पांच तालिबान क़ैदियों की रिहाई के फ़ैसले की तीखी आलोचना कर रहे हैं.

उनका कहना है कि रिहा किए गए तालिबान नेता अमरीका के लिए फिर से ख़तरा बन सकते हैं.

राष्ट्रपति ओबामा ने रिहाई के फ़ैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि आगे हालात जो भी हों, एक अमरीकी सैनिक जो क़ैद में था उसे वापस घर लाया गया है.

उनका कहना था, “हम इन लोगों पर नज़र रखेंगे. क्या ये संभव है कि इनमें से कुछ फिर से अमरीका के ख़िलाफ़ कार्रवाई में शामिल हो जाएं? बिल्कुल.”

उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा समेत सभी पहलूओं पर ग़ौर करने के बाद ही ये फ़ैसला किया क्योंकि उन्हें यक़ीन है कि अगर ये लोग अमरीका के ख़िलाफ़ काम करते हैं तो उन्हें फिर से दबोचा जा सकता है.

डायरेक्टर नेशनल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2014 तक ग्वांतानामो से कुल 614 क़ैदी रिहा किए जा चुके हैं और इनमें से 104 के बारे में ये पुष्टि हो चुकी है कि वो फिर से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल हो चुके हैं.

इसके अलावा 74 ऐसे हैं जिनपर शक है कि वो आतंकवाद से जुड़े हुए हैं.

बड़ी समस्या

रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले ग्यारह वर्षों के विश्लेषण से कहा जा सकता है कि अगर ग्वांतानामो जेल से और क़ैदियों को बिना शर्त रिहा किया गया तो उनमें से कुछ फिर से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो जाएंगे.”

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तालिबान के क़ब्ज़े से छुड़ाए गए अमरीकी फ़ौजी को लेकर विवाद

रिपोर्ट का कहना है कि ये क़ैदी उसी माहौल में लौटते हैं जहां हालात ख़राब हैं और चरमपंथी संगठन उन्हें वापस बुलाने की कोशिश करते हैं और ये एक बड़ी समस्या है.

अमरीका अब तक इस उसूल पर काम करता आया है कि जिन्हें वो ‘आतंकवादी’ कहता है उनके साथ किसी तरह की बातचीत नहीं की जाएगी.

माना जा रहा है कि सार्जेंट बर्गडैल हक्क़ानी नेटवर्क के क़ब्ज़े में थे और अमरीका इस संगठन को ‘आतंकवादी’ संगठन घोषित कर चुका है.

कई पूर्व फ़ौजी अधिकारी और रिपब्लिकन सांसदों ने इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे ‘आतंकवादी’ संगठनों का हौसला बुलंद होगा और उनकी सोच होगी कि अमरीकी फ़ौजियों को बंधक बनाकर वो अपने साथियों को रिहा करवा सकते हैं.

ओबामा प्रशासन के फ़ैसले की इसलिए भी आलोचना हो रही है क्योंकि जिस अमरीकी फ़ौजी को रिहा करवाया गया है वो फ़ौज से नाख़ुश था और 2009 में अपनी मर्ज़ी से फ़ौजी अड्डे से बाहर निकल गया था. उसके कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने उसे बंधक बना लिया था.

कई अमरीकी फ़ौजी उसे भगोड़ा कह रहे हैं और फ़ौज के क़ानून के तहत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

अमरीकी फ़ौज के सर्वोच्च अधिकारी जनरल मार्टिन डेंपसी का कहना है कि एक अमरीकी फ़ौजी को रिहा करवाने का ये एक तरह से आख़िरी और सबसे बेहतर मौक़ा था.

उन्होंने कहा कि सार्जेंट बर्गडैल से बातचीत के बाद ही पता चलेगा कि वो किन हालात में पकड़े गए.

उनका कहना था, ”अगर उन्होंने कुछ ग़लत किया था तो फ़ौज उसकी अनदेखा नहीं करेगी. लेकिन किसी अन्य अमरीकी की तरह ही वो तब तक निर्दोष हैं जब तक ये जुर्म साबित नहीं हो जाए.”

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