संरा की नयी मानवाधिकार प्रमुख ने कहा – खुद और उनके परिवार ने सही हैं यातनाएं

सेंटियागो : चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैशेलेट जब 23 साल की थीं, तो उन्हें और उनके परिवार को यातनाओं का सामना करना पड़ा और निर्वासन में भी रहना पड़ा. अब चार दशक से अधिक समय बाद वह संयुक्त राष्ट्र की नयी मानवाधिकार प्रमुख के तौर पर कामकाज संभालेंगी. 66 वर्षीय बैशेलेट को अक्सर उनके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2018 6:21 PM

सेंटियागो : चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैशेलेट जब 23 साल की थीं, तो उन्हें और उनके परिवार को यातनाओं का सामना करना पड़ा और निर्वासन में भी रहना पड़ा. अब चार दशक से अधिक समय बाद वह संयुक्त राष्ट्र की नयी मानवाधिकार प्रमुख के तौर पर कामकाज संभालेंगी.

66 वर्षीय बैशेलेट को अक्सर उनके भाषणों के दौरान हंसते, आसानी से बातचीत करते या हल्की फुल्की मजाकिया टिप्पणी करते हुए देखा जा सकता है. लेकिन, उनके इस अच्छे हास्यबोध के पीछे उस क्रूर तानाशाह शासन की हृदय विदारक यादें हैं जिसने उनके परिवार को अलग-थलग कर दिया. बैशेलेट के पिता जनरल अलबर्टो बैशेलेट वायु सेना अधिकारी थे. 1974 में जेल में कुछ महीने तक यातनाएं झेलने के बाद उन्होंने जान गंवा दी. जनरल अगस्तो पिनोशेट की सेना ने उन्हें 1973 के सैन्य तख्तापलट का विरोध करने के लिए देशद्रोही करार दिया था. उस तख्तापलट में राष्ट्रपति सल्वाडोर अलेंडे को पद छोड़ना पड़ा था.

बैशेलेट को भी 1975 में उनकी मां के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था. वह सोशलिस्ट पार्टी की युवा सदस्य थीं और गुप्त जेल में उन्होंने जो वक्त काटा है, वो ऐसी अग्निपरीक्षा की तरह गुजरा कि वह उस बारे में बात नहीं करना चाहती. उन्होंने अपनी आत्मकथा में केवल इतना कहा है कि उन्होंने शारीरिक कठिनाइयों का सामना किया. परिवार के राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए वह ऑस्ट्रेलिया और पूर्ववर्ती पूर्वी जर्मनी में निर्वासन में चली गयीं. 1979 में चिली लौटने के बाद बैशेलेट का कद सोशलिस्ट पार्टी में बढ़ता चला गया और एक दिन राष्ट्रपति रिकार्डो लागोस की सरकार में इस लातिन अमेरिकी देश की पहली महिला रक्षा मंत्री चुनी गयीं. वह रुकी नहीं, और 2006 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं.

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