भावनाएं भड़काने के अलावा सोशल मीडिया का यह सकारात्मक पक्ष नहीं जानते होंगे आप…

वाशिंगटन : प्राय: ध्रुवीकरण और मनमुटाव को बढ़ावा देने वाला सोशल मीडिया नेटवर्क राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करने का हल भी दे सकता है. अमेरिका में हुए एक नये अध्ययन से यह जानकारी मिली है. पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2,400 रिपब्लिकन और डेमोक्रेट समर्थकों से आर्कटिक समुद्री बर्फ स्तर पर जलवायु परिवर्तन के हालिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2018 8:12 PM
वाशिंगटन : प्राय: ध्रुवीकरण और मनमुटाव को बढ़ावा देने वाला सोशल मीडिया नेटवर्क राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करने का हल भी दे सकता है.
अमेरिका में हुए एक नये अध्ययन से यह जानकारी मिली है. पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2,400 रिपब्लिकन और डेमोक्रेट समर्थकों से आर्कटिक समुद्री बर्फ स्तर पर जलवायु परिवर्तन के हालिया आंकड़ों की व्याख्या करने को कहा.
पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार शुरुआत में 40 फीसदी रिपब्लिकन समर्थकों ने आंकड़ों की गलत व्याख्या की. उन्होंने कहा कि आर्कटिक समुद्र बर्फ स्तर बढ़ रहा है.
26 फीसदी डेमोक्रेट ने भी यही गलतियां की. हालांकि इसके बाद एक अज्ञात सोशल मीडिया नेटवर्क में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और इस आंकड़े पर अपने विचार साझा किये.
इस बार 88 फीसदी रिपब्लिकन और 86 फीसदी डेमोक्रेट ने इसकी सही व्याख्या की और इस पर सहमत हुए कि समुद्री बर्फ स्तर में गिरावट आ रही है.
पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के डेमन सेंटोला ने कहा, नई वैज्ञानिक सूचनाएं लोगों के विचार को नहीं बदलती है. वे अपने विश्वास के अनुसार ही आंकड़ों की व्याख्या करते हैं.
सेंटोला ने बताया, लेकिन अगर आप इन लोगों को एक समतामूलक सोशल नेटवर्क पर बातचीत करने का मौका देते हैं जहां कोई भी व्यक्ति दूसरे से शक्तिशाली न हो तो हम इस बात का महत्वपूर्ण प्रभाव देखते हैं कि लोग एक-दूसरे से सीखते हैं और ध्रुवीकरण कम होता है.

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