पाक सेना प्रमुख का विवादित बयान – हमारा देश कश्मीर में आत्मनिर्णय का समर्थन करता है
इस्लामाबाद : कश्मीर मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने जम्मू कश्मीर में ‘आत्मनिर्णय’ के प्रति पाकिस्तान का समर्थन दोहराया है. गुरुवार को रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना मुख्यालय में आयोजित रक्षा एवं शहीद दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के लोगों का ‘आत्मनिर्णय […]
इस्लामाबाद : कश्मीर मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने जम्मू कश्मीर में ‘आत्मनिर्णय’ के प्रति पाकिस्तान का समर्थन दोहराया है. गुरुवार को रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना मुख्यालय में आयोजित रक्षा एवं शहीद दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के लोगों का ‘आत्मनिर्णय के अधिकार के वास्ते’ उनके संघर्ष में समर्थन करता है.
पाकिस्तान भारत के साथ 1965 की लड़ाई की वर्षगांठ के तौर पर छह सितंबर को रक्षा एवं शहीद दिवस मनाता है. बाजवा ने कहा, ‘हमने 65 और 71 की लड़ाइयों से काफी सीखा है. हम इन लड़ाइयों के चलते अपने रक्षाबलों को और मजबूत करने में समर्थ हुए. कठिन आर्थिक हालात के बावजूद हम परमाणु ताकत बन पाये.’ उन्होंने कहा कि छह सितंबर, 1965 हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है. पाकिस्तानी सैनिक समर भूमि के धधकते अंगारे में कूद गये थे, लेकिन देश को नुकसान नहीं पहुंचने दिया. पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने कहा कि सरहद पर जो लहू बह चुका है और जो बह रहा है, सभी का हिसाब लेंगे.
बाजवा ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों को सलाम करते हैं जो वहां खड़े हैं और बहादुरी से लड़ रहे हैं. यह पहला मौका नहीं है, जब बाजवा ने कश्मीर को लेकर ऐसा विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 6 सितंबर पाकिस्तान के शहीदों के एकजुट होने का दिन है और सभी अपनी सरजमीं की रक्षा के लिए एकजुट हैं. बाजवा ने आतंकवाद से सामूहिक रूप से लड़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि प्रबुद्ध राष्ट्र अपने शहीदों को नहीं भूलते हैं.
इस मौके पर प्रधानमत्री इमरान खान ने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में (लड़ाई में) देश की संलिप्तता पर कहा, ‘हम (भविष्य में) किसी अन्य देश की लड़ाई का हिस्सा नहीं बनेंगे. हमारी विदेश नीति देश के सर्वश्रेष्ठ हित में होगी.’ पाकिस्तान शीत युद्ध के दौरान अमेरिका का सहयोगी था और उसने अफगानिस्तान में सोवियत संघ के साथ अमेरिका की लड़ाई लड़ी थी. खान ने आतंकवाद का मुकाबला करने को लेकर सशस्त्र बलों की भी सराहना की.