इस्लामाबाद : पाकिस्तान एक बार फिर भारत के साथ शांति वार्ता चाहता है. इस बाबत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इससे भी खास बात यह है कि इमरान ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली की बैठक से इतर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान […]
इस्लामाबाद : पाकिस्तान एक बार फिर भारत के साथ शांति वार्ता चाहता है. इस बाबत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इससे भी खास बात यह है कि इमरान ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली की बैठक से इतर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच बातचीत का आग्रह किया है. यहां चर्चा कर दें कि इस महीने के बाद न्यू यॉर्क में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (यूएनजीए) की बैठक होगी.
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जानकारों की मानें तो खान का यह पत्र पीएम मोदी के उस संदेश का जवाब है जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘फलदायक और रचनात्मक’ संबंधों की ओर इशारा किया था. यदि आपको याद हो तो इमरान खान ने भी पाकिस्तान चुनाव में अपनी जीत के बाद कहा था कि अगर संबंधों के सुधार की दिशा में भारत एक कदम आगे बढ़ाता है तो वह दो कदम आगे की ओर बढ़ाने का काम करेंगे.
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इस खबर के इतर, ट्रम्प प्रशासन ने बुधवार को महत्वपूर्ण आतंक रोधी कदमों के लिए भारत की सराहना की और कहा कि पाकिस्तानी आतंकी समूह भारत में अपने हमले जारी रखे हुए हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म’ में कहा कि भारतीय नेतृत्व ने घरेलू स्तर पर आतंकी हमलों को रोकने और अमेरिका तथा समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर आतंक के षड्यंत्रकारियों को न्याय के कठघरे में लाने का संकल्प व्यक्त किया है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत लगातार हमले झेलता रहा, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की ओर से और आदिवासी तथा माओवादियों की तरफ से भी. भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर में सीमा पार से होने वाले हमलों का जिम्मेदार ठहराया.
जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर भारतीय उपमहाद्वीप में खतरा बने हुए हैं
अमेरिका ने बुधवार को कहा कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी समूह लगातार क्षेत्रीय खतरा पैदा कर रहे हैं और पाकिस्तान ने 2017 में आतंकवाद पर अमेरिका की चिंताओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दिया. अमेरिका के विदेश विभाग ने साल 2017 के लिए आतंकवाद पर वार्षिक कंट्री रिपोर्ट में कहा कि हालांकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल-कायदा कमजोर पड़ा है लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में इसका क्षेत्रीय संगठन अल-कायदा क्षेत्र में अपनी गतिविधियां जारी रख रहा है. इसमें कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा उपमहाद्वीप में अब भी क्षेत्रीय खतरा बने हुए हैं. पाकिस्तान ने 2017 में इन चिंताओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दिया.’