राष्ट्रपति चुनाव के लिए मालदीव में मतदान शुरू, पर्यवेक्षकों को निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं
माले : मालदीव में विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया. मतदान शुरू होने के कुछ ही घंटे पहले विपक्ष के प्रचार मुख्यालय पर पुलिस ने छापा मारा था. इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों एवं विपक्ष ने आशंका जतायी थी कि चीन के वफादार माने जाने वाले ताकतवर नेता अब्दुल्ला यामीन को […]
माले : मालदीव में विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया. मतदान शुरू होने के कुछ ही घंटे पहले विपक्ष के प्रचार मुख्यालय पर पुलिस ने छापा मारा था. इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों एवं विपक्ष ने आशंका जतायी थी कि चीन के वफादार माने जाने वाले ताकतवर नेता अब्दुल्ला यामीन को सत्ता में बरकरार रखने के लिए चुनावों में गड़बड़ी की जायेगी.
अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया कि सुबह से ही सैकड़ों पुरुष और महिलाएं अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए राजधानी माले में मतदान केंद्रों पर कतारों में खड़े दिखाई पड़े. मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ. चुनाव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुकाबला है.
इधर, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों एवं विपक्ष को आशंका है कि चीन के वफादार माने जाने वाले ताकतवर नेता अब्दुल्ला यामीन को सत्ता में बरकरार रखने के लिए चुनावों में गड़बड़ी की जायेगी. मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने अपने सभी प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को या तो जेल में डाल दिया है या देश से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया है.
यामीन ने देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चीन से अरबों डॉलर का कर्ज ले लिया है, जिसके कारण लंबे समय से मालदीव का समर्थक रहा भारत चिंतित है.
मालदीव में ‘हालात नहीं सुधरने पर’ यूरोपीय संघ (ईयू) यात्राओं पर पाबंदी और संपत्तियों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की चेतावनी दे चुका है, जबकि अमेरिका ने कहा है कि वह 1,200 द्वीपों वाले इस देश में लोकतंत्र को कमजोर करने वालों के लिए ‘उचित कदम उठाने पर विचार’ करेगा.
करीब 2,60,000 लोग मालदीव में हो रहे चुनावों में वोट डाल सकते हैं. स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को इन चुनावों की निगरानी की मंजूरी नहीं दी गयी है. सिर्फ विदेशी मीडिया के कुछ पत्रकारों को चुनाव कवर करने की इजाजत मिली है.
विदेशी चुनाव निगरानी समूह ‘एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शंस’ ने कहा कि चुनाव प्रचार अभियान 59 साल के यामीन के पक्ष में बहुत हद तक झुका हुआ है. सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने से पहले यामीन को सिविल सेवा के एक साधारण अधिकारी के तौर पर देखा जाता था.
‘एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शंस’ ने कहा उसे निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं है. पर्यवेक्षकों ने मतदान की पूर्व संध्या पर कहा, ‘(चुनावों की) निगरानी या (सरकार पर) दबाव के अभाव में मालदीव के लोगों के सामने निराशाजनक स्थिति का सामना करने का खतरा है.’
बीते फरवरी में आपातकाल लागू कर, संविधान को निलंबित कर और यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया था.
कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अब निर्वासित जीवन बिताना पड़ रहा है. नशीद ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह चुनाव के नतीजों को खारिज करे.
नशीद ने कहा, ‘गणित के हिसाब से यामीन के लिए जीतना जरूरी नहीं है, क्योंकि सारी विपक्षी पार्टियां उनके खिलाफ हैं. लेकिन वे बैलट बक्सों में पड़े वोटों से अलग जाकर नतीजों की घोषणा करेंगे.’