संयुक्त राष्ट्र : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आक्रामक भाषण देते हुए ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की अपील की जिसके बाद उनके ईरानी समकक्ष ने आरोप लगाया कि ट्रंप उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं. महासभा में मंगलवार को दूसरी बार भाषण देते हुए ट्रंप वेनेजुएला के निकोलस मादुरो पर भी जमकर बरसे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समर्थित विश्व अदालत जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों पर भी निशाना साधा.
ट्रंप ने ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अलग होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए आरोप लगाया कि तेहरान के नेतृत्व ने अव्यवस्था, मौत और तबाही के बीज बोये हैं. उन्होंने ईरान पर हमास और हिज्बुल्ला जैसे इस्लामिक आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘हम दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक को धरती के सबसे खतरनाक हथियार नहीं रखने दे सकते.’
ट्रंप ने कहा, ‘‘हमने सभी राष्ट्रों से ईरान को तब तक अलग-थलग रखने को कहा है जब तक उसका आक्रामक रुख जारी रहता है.’ इसके कुछ घंटों बाद इसी मंच से ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने परमाणु समझौते के प्रति अपने देश की प्रतिबद्धता दोहराई और ट्रंप को ‘‘हास्यास्पद’ नेता बताया जो खुद अलग-थलग हैं.
गौरतलब है कि समझौते में शामिल पांच अन्य देशों – ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस – ने अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लागू करने की परवाह ना करते हुए सोमवार को ईरान से व्यापारिक संबंध बनाए रखने की घोषणा की। रूहानी ने अमेरिका से वार्ता फिर से शुरू करने के विचार पर पानी फेरते हुए कहा कि अमेरिका यह दावा करके मूर्ख नहीं बना सकता कि वह सरकार बदलना नहीं चाहता.
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह विडंबना है कि अमेरिकी सरकार ने वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए इसी सरकार का तख्ता पलट करने की अपनी योजना को छिपाया तक नहीं. वार्ता होने के लिए तस्वीर खिंचवाने के अवसर की जरुरत नहीं है. दोनों देश यहां इस महासभा में एक-दूसरे को सुन सकते हैं.’ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अपने उद्घाटन संबोधन में एक बार फिर स्पष्ट तौर पर ट्रंप का जिक्र किए बिना कहा कि देशों के बीच विश्वास ‘‘टूटने की कगार’ पर है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है.
गुतारेस ने 193 सदस्यीय महासभा में कहा, ‘‘आज दुनिया की स्थिति तेजी से अराजक होती जा रही है।’ ट्रंप ने उत्तर कोरिया शांति प्रक्रिया के लिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भूमिका की प्रशंसा की लेकिन उसके साथ बढ़ते व्यापारिक युद्ध के बीच तीखे शब्दों में कहा कि एशियाई शक्ति के साथ वाणिज्यिक असंतुलन ‘‘बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.’