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आधार: फैसले का सरकार-विपक्ष दोनों ने किया स्वागत

Getty Images आधार पर सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले का सरकार और विपक्ष दोनों ने स्वागत किया है. फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता और पूर्व क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "आधार एक्ट के सेक्शन 57 को हटाकर शीर्ष अदालत ने आधार के बहाने लोगों की निगरानी किए जाने की सरकारी कोशिशों […]

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आधार पर सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले का सरकार और विपक्ष दोनों ने स्वागत किया है.

फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता और पूर्व क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "आधार एक्ट के सेक्शन 57 को हटाकर शीर्ष अदालत ने आधार के बहाने लोगों की निगरानी किए जाने की सरकारी कोशिशों को भी ख़त्म कर दिया है. यह यूपीए के लाए विचार का वीभत्स दुरुपयोग था."

वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताया. उन्होंने कहा कि अभी उन्होंने पूरा फैसला पढ़ा नहीं है, लेकिन आधार के विचार को न्यायिक समीक्षा के बाद स्वीकार कर लिया गया है और इस फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं.

https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/292670244668918/

केंद्र ने कहा कि शीर्ष अदालत ने तकनीक के महत्व को बरक़रार रख साफ कर दिया है कि इसके आलोचकों का विरोध सही नहीं है. वित्त मंत्री ने कहा, "यह योजना लाने वालों को ही नहीं मालूम था कि इसका करना क्या है."

नए फैसले के तहत इनकम टैक्स भरने वालों के अलावा अब आधार नंबर भारतीयों के लिए अनिवार्य नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आधार नंबर की अनिवार्यता पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "आधार नंबर संवैधानिक रूप से वैध है."

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक़ मोबाइल नंबर, बैंक, सीबीएसई, यूजीसी, स्कूली दाखिलों, निजी कंपनियों के लिए आधार कार्ड ज़रूरी नहीं है.

ये फ़ैसला शीर्ष अदालत की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से नहीं सुनाया.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधार नंबर को असंवैधानिक क़रार दिया. बेंच में चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खनविलकर और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल थे.

कांग्रेस की भाषा पर आश्चर्य: प्रसाद

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इसी के साथ सरकार ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा. क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "मुझे कांग्रेस की इस भाषा पर आश्चर्य होता है. वो कहते हैं कि बहुमत वाले फैसले का हम सम्मान करते हैं, लेकिन अल्पमत वाले फैसले के साथ खड़े हैं. अब इस अहंकार का मेरे पास कोई उत्तर नहीं है."

उन्होंने कहा, "जिस पार्टी ने आधार को शुरू किया था बिना किसी क़ानून के, अगर उनकी आपत्ति है तो उनको मुबारक. लेकिन हां हमें इस बात का बहुत संतोष है कि जिस वैधानिकता और प्रामाणिकता के साथ आधार को हमने अमली जामा पहनाया और आज इसकी प्रशंसा विश्व बैंक कर रहा है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश कर रहा है तो हम इससे बहुत प्रसन्न हैं और इस निर्णय के ऐतिहासिक दूरगामी परिणाम होंगे."

क़ानून मंत्री ने कहा, "यह फ़ैसला भारत के शासन तंत्र की सुचिता, ग़रीबों के कल्याणकारी कार्यक्रमों की डिलिवरी और साधारण ग़रीब हिंदुस्तान के सशक्तिकरण का माध्यम है."

इस मामले में 27 याचिकाओं पर 38 दिनों तक सुनवाई चली थी. अब जब सुप्रीम कोर्ट का आधार पर फ़ैसला आ चुका है तो सोशल मीडिया पर भी इसकी ख़ूब चर्चा है.

https://www.youtube.com/watch?v=Avy5rr0p_Ac

अन्य अहम प्रतिक्रियाएं

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी चैनल से कहा, ”आधार कार्ड को कोर्ट ने अनिवार्य नहीं बताया है. सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला संतुलित है. मोबाइल, परीक्षाओं, बैंक के लिए अब आधार ज़रूरी नहीं होने से लोगों को राहत मिलेगी. अब आधार कार्ड PAN कार्ड से ज़्यादा अलग नहीं है.”

कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ”आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं. निजी क्षेत्रों में अब वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड ज़रूरी नहीं होगा.”

https://twitter.com/INCIndia/status/1044833061102325760

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए आधार पर फ़ैसले को ऐतिहासिक बताया.

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने फ़ैसले के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ की कही बात को शेयर किया, ”अब तक जो डेटा जुटाया है, उसे नष्ट किया जाना चाहिए. इस बिल को ग़लत तरीके यानी मनी बिल बताकर पास किया गया, ये असंवैधानिक था.”

https://twitter.com/sardesairajdeep/status/1044850107164880897

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आधार कार्ड का अतीत में विरोध करती रही हैं.

ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए ममता के पुराने बयान को ट्वीट किया गया और लिखा कि ममता ने आधार को लेकर बड़ी लड़ाई लड़ी थी.

https://twitter.com/AITCofficial/status/1044834900388581377

जून 2017 को ममता ने कहा था, ”आधार ज़रूरी करने का सबसे ज़्यादा असर ग़रीबों पर होगा.”

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस फ़ैसले पर कहा, ”ये ऐतिहासिक है. क्योंकि कुछ निजी कंपनियों ने आधार कार्ड को ज़रूरी करार दिया था. लेकिन अब कोर्ट ने इसके लिए मना कर दिया.”

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AFP

आम लोगों ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर हमने आम लोगों से कहासुनी के ज़रिए उनकी राय जाननी चाही. इस कहासुनी पर हमें काफी लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलीं. हम आपको यहां चुनिंदा कमेंट्स पढ़वा रहे हैं.

बीबीसी हिंदी के इंस्टाग्राम अकाउंट पर भरत नाम के यूज़र ने लिखा, ”ये फ़ैसला जनहित, राष्ट्रहित में है और संतुलित में है. ऐसे मामले कोर्ट में आने ही नहीं चाहिए थे.”

आशु लिखते हैं, ”ये फ़ैसला कुछ जल्दी नहीं आ गया! जब सब ने आधार लिंक करवा दिया?”

फ़ेसबुक पर फरहान ने लिखा, ”ये सही फ़ैसला है क्योंकि फोन नंबर से आधार कार्ड खोज लिया जाता है और आधार कार्ड से पैसों की चोरी भी की जा सकती है.”

https://twitter.com/RoflGandhi_/status/1044827762790420481

प्रियव्रत पात्रा लिखते हैं, ”मैं इस फ़ैसले से सहमत नहीं हूं. मुझे लगता है कि सिम कार्ड को आधार से जोड़ा जाना चाहिए.”

https://twitter.com/rjkalpeshvaya/status/1044861255205482497

ट्विटर पर आशीष लिखते हैं, ”मेरी राय में इन दोनों में भी आधार ज़रूरी होना चाहिए, क्योंकि जहां सिम को आधार से जोड़ने से अपराध रुकेगा. वहीं बैंक को आधार से जोड़ने पर अवैध लेनदेन रुकेगा.”

आधार अब कहां ज़रूरी है?

  • आधार को PAN (परमानेंट अकाउंट नंबर) से जोड़ना अनिवार्य
  • इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने के लिए ज़रूरी

अब कहां ज़रूरी नहीं आधार?

  • बच्चों के दाखिलों के लिए
  • बच्चों को लाभ पहुँचाने वाली किसी सरकारी स्कीम के लिए
  • मोबाइल नंबर से जोड़ने
  • बैंक खाता खोलने और बैंकिंग सेवाओें
  • सीबीएसई, नीट, यूजीसी की प्रवेश परीक्षाओं
  • टेलीकॉम कंपनियां और मोबाइल वॉलेट
  • निजी कंपनी आधार की मांग नहीं कर सकती

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