Loading election data...

राज्य दे सकते हैं प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट

Getty Images उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण पर दिए फ़ैसले की तारीफ़ की है. मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से राज्यों में प्रमोशन में आरक्षण, सख़्ती से लागू करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2018 10:44 PM
undefined
राज्य दे सकते हैं प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट 4
Getty Images

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण पर दिए फ़ैसले की तारीफ़ की है.

मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है.

उन्होंने केंद्र सरकार से राज्यों में प्रमोशन में आरक्षण, सख़्ती से लागू करने की माँग की है.

राज्य दे सकते हैं प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट 5
BBC

मायावती ने कहा कि कोर्ट के फ़ैसले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार राज्यों को चिट्ठी लिखे और उनसे इसे लागू करने को कहे.

मायावती ने ये आरोप भी लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने साढ़े चार साल में अभी तक पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर कोई काम नहीं किया.

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के पास अब मौक़ा है कि वो कोर्ट के इस फ़ैसले को ईमानदारी से लागू करवाये.

दरअसल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में एससी-एसटी के आरक्षण पर फ़ैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने आरक्षण देने को राज्यों के विवेक पर छोड़ दिया है.

राज्य दे सकते हैं प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट 6
Getty Images

कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की ये अर्ज़ी ख़ारिज कर दी कि एससी-एसटी को आरक्षण दिये जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए.

कोर्ट ने साथ ही कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए सरकार को एससी और एसटी के पिछड़ेपन के आधार पर डेटा जुटाने की जरूरत नहीं है.

शीर्ष अदालत ने नागराज मामले में 2006 में दिए गए अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने से भी इनकार कर दिया.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधार को क्यों कहा असंवैधानिक

सुप्रीम कोर्ट ने आधार को बताया वैध पर तय की सीमाएं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने साल 2006 के फ़ैसले में कहा था, "राज्य को प्रमोशन में आरक्षण के प्रावधान करने से पहले हर मामले में अनिवार्य कारणों, जैसे कि पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व में कमी और प्रशासनिक दक्षता की स्थिति को दिखाना होगा."

कोर्ट ने कहा कि ये फ़ैसला सही है और इस पर फिर से विचार करने की ज़रूरत नहीं है. पांच सदस्यों (चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस कूरियन जोसेफ़, जस्टिस रोहिंटन फ़ली नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा) वाली संविधान पीठ ने एकमत होकर ये फ़ैसला सुनाया.

ये भी पढ़ें…

मेरठ में मुस्लिम लड़के के साथ होने पर पुलिस ने पीटा

क्या सुप्रीम कोर्ट फ़ैसले के बाद राजनीति से दूर होंगे अपराधी?

‘100 रुपये लीटर पेट्रोल’ के लिए तैयारी

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

>

Next Article

Exit mobile version