इंडोनेशिया : अब भी मदद से वंचित हैं भूकंप पीड़ित
वानी (इंडोनेशिया): इंडोनेशिया में भूकंप एवं सुनामी के बाद आयी तबाही को कई दिन भले ही बीत गये हों, लेकिन बर्बादी का मंजर अब भी ज्यों का त्यों ही है. शुक्रवार को आयी आपदा के बाद से अब तक यहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है. खाली पड़े घरों में फिलहाल के लिए शरण […]
वानी (इंडोनेशिया): इंडोनेशिया में भूकंप एवं सुनामी के बाद आयी तबाही को कई दिन भले ही बीत गये हों, लेकिन बर्बादी का मंजर अब भी ज्यों का त्यों ही है. शुक्रवार को आयी आपदा के बाद से अब तक यहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है.
खाली पड़े घरों में फिलहाल के लिए शरण लिये हुए लोगों में मदद न मिल पाने को लेकर गुस्सा है. एक खाली घर के बरामदे में रह रहे दार्जन नाम के व्यक्ति ने कहा, ‘कोई मदद नहीं मिली है’.
भोजन, चिकित्सीय मदद, ईंधन एवं शरण के अभाव से जूझ रहे छोटे गांवों के निवासी इतने दिनों में भी मदद न मिलने की वजह से आक्रोशित हैं.
इंडोनेशिया सरकार मदद पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रही है और राहत एवं बचाव कार्य प्रांत की राजधानी पालू शहर तक केंद्रित हैं.
अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्हें तीन बाहरी क्षेत्रों में रह रहे लोगों की दुर्दशा के बारे में बहुत ज्यादा इल्म नहीं था.
डोंग्गाला, सिगी और पारिगी मुंटोंग रीजेंसी में धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अलग-थलग पड़े गांव एवं कस्बे के निवासी मदद की गुहार लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि बचावकर्ता उन्हें नजरअंदाज कर रहेहैं.
इंडोनेशियाके राष्ट्रपति जोको ‘जोकोवी’ विडोडो की ओर इशारा करते हुए डोंग्गाला कस्बे के एक निवासी ने कहा, ‘श्रीमान जोकोवी, डोंग्गाला की ओर भी ध्यान दें.’
उसने कहा, ‘पालू के सिवा भी यहां बहुत ऐसे गांव हैं, जिनकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया है. डोंग्गाला में बहुत से गांव ऐसे हैं.’
यहां तक कि पालू में भी लोगों में निराशा का माहौल है, जहां सड़कों पर ‘हमें खाना चाहिए’, ‘हमें मदद चाहिए’ जैसे बोर्ड सड़कों पर लगायेगये हैं. बच्चे सड़कों पर भीख मांग रहे हैं.
आपदा की मार झेल रहे देश के लिए विडोडो ने दूसरे देशों से मदद लेने की मंजूरी दे दी है. सरकार का कहना है कि करीब 6,400 बचावकर्मी राहत कार्यों में जुटे हैं और सभी समस्याओं को दूर करने में अभी और वक्त लगेगा.