सब-एटॉमिक पार्टिकल्स को ‘गॉड पार्टिकल’ का नाम देने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लियोन लेडरमैन का निधन हो गया है. गुरुवार को उन्होंने रॉक्सबर्ग के इडाहो टाउन में अंतिम सांस ली. उनकी पत्नी एलेन कार लेडरमैन ने यह जानकारी दी. 96 साल के भौतिक विज्ञानी लियोन लेडरमैन ने वर्ष 1993 में अपनी पुस्तक में ‘हिग्स-बोसोन’ को ‘गॉड पार्टिकल’ का नाम दिया था.
वर्ष 1988 में उन्हें एक अन्य सब-एटॉमिक पार्टिकल म्यून न्यूट्रिनो की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. डिमेंशिया पीड़ित इस अमेरिकी वैज्ञानिक को बाद में अपना मेडिकल बिल चुकाने के लिए 7.65 लाख डॉलर में अपना गोल्ड मेडल बेचनेके लिए मजबूर होना पड़ा था.
सैंतीस साल से भौतिक विज्ञानी के साथ रह रहीं एलेन ने कहा कि लियोन को लोगों से बहुत प्यार था. लोगों को शिक्षित करना उन्हें अच्छा लगता था. उन्हें अच्छा लगता था लोगों को यह बताने में कि वह विज्ञान में क्या कर रहे हैं. डॉ लेडरमैन विज्ञान की दुनिया की महान हस्तियों में गिने जाते हैं.
शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल टर्नर कहते हैं कि डॉ लेडरमैन ने प्रकृति में मौजूद पार्टिकल्स के बारे में बहुत आसान शब्दों में दुनिया को जानकारी दी. वह अपने समय के वैज्ञानिकों से बहुत आगे थे. दुनिया भर में विज्ञान के प्रचार-प्रसारकेलिए वह साइंस एंबेसडर थे. डॉ लेडरमैन की सोच थी कि उनका हर शोध राष्ट्रके काम आये.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि डॉ लेडरमैन का जन्म न्यूयॉर्क सिटी में वर्ष 1922 में हुआ. यहां उनके पिता एक लाउंड्री चलाते थे. वर्ष 1943 में उन्होंने न्यूयॉर्क के सिटी कॉलेज से केमिस्ट्री में डिग्री हासिल की. उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तीन साल तक अमेरिकी सेना में नौकरी की.
वर्ष 1951 में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से पार्टिकल फिजिक्स में पीएचडी की डिग्री हासिल की. यहीं उन्होंने सबएटॉमिक पार्टिकल्स की उत्पत्ति के बारे में अनुसंधान किया.
डॉ लेडरमैन की पत्नी कहती हैं कि उनके पति जब छुट्टियां मनाने इडाहो आते, तो वह काम में ही मशगूल रहते थे. नोबेल पुरस्कार में मिले पैसे से उन्होंने कुछ खेत खरीदा था. उन्हें स्कीइंग और घुड़सवारी बहुत पसंद था. मिसेज लेडरमैन ने कहा कि वह स्कीइंग सीखती थीं और उनके पति घुड़सवारी. मिसेज लेडरमैन उतनी स्कीइंग नहीं कर पाती थीं, जितनी डॉ लेडरमैन घुड़सवारी कर लेते थे. वह बहुत अच्छे घुड़सवार थे.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि डॉ लेडरमैन दूसरे नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें अपना गोल्ड मेडल बेचना पड़ा. वर्ष 2015 में मेडल की नीलामी करके उनका मेडिकल बिल चुकाया गया था.