डेटा स्थानीयकरण पर नरम रुख अपनाये भारत, प्रधानमंत्री मोदी से अमेरिकी सांसदों की गुहार
वाशिंगटन: अमेरिका के दो सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेटा स्थानीयकरण (आंकड़ों को देश के भीतर ही संग्रहीत करने की व्यवस्था) पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया है. उन्होंने चेताया कि भारत की इस नीति से अमेरिकी कंपनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. डेटा स्थानीयकरण का अर्थ है कि देश में रहने वाले नागरिकों […]
वाशिंगटन: अमेरिका के दो सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेटा स्थानीयकरण (आंकड़ों को देश के भीतर ही संग्रहीत करने की व्यवस्था) पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया है. उन्होंने चेताया कि भारत की इस नीति से अमेरिकी कंपनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
डेटा स्थानीयकरण का अर्थ है कि देश में रहने वाले नागरिकों के निजी आंकड़ों को एकत्र, प्रसंस्करण और संग्रहीत करके उसी देश की सीमा के भीतर ही रखा जाये.
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में परिपत्र जारी करके सभी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों से भुगतान प्रणाली से जुड़े सभी आंकड़ों को भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत करने को कहा था. बैंक ने नियमों के अनुपालन के लिए 15 अक्तूबर का समय दिया है.
अमेरिकी सांसद जॉन कॉर्नयन और मार्क वार्नर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में भारत सरकार के डेटा स्थानीयकरण का विरोध किया.
उन्होंने कहा, ‘डेटा संरक्षण विधेयक और राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति की रूपरेखा में शामिल डेटा स्थानीयकरण से भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इसका असर आपके अपने आर्थिक लक्ष्यों पर भी पड़ सकता है.’
सांसदों ने आग्रह किया कि जब कंपनियां उच्च गुणवत्ता के निजता संबंधी सुरक्षा उपाय अपनाती है, तो इससे यह फर्क नहीं पड़ता कि वे डेटा कहां संग्रहीत करती हैं.
उन्होंने कहा, ‘डेटा सुरक्षाकी बजाय डेटा स्थानीयकरण पर जोर देने से उपभोक्ताओं और कंपनियों की दक्षता प्रभावित होगी और खरीद तथा डेटा सेवा की आपूर्ति की लागत में वृद्धि होगी. इससे वास्तव में या तो डेटा आधारित सेवाओं की लागत बढ़ेगी या फिर उनकी उपलब्धता कम हो जायेगी.’