पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्फ का दुबई में बयान दर्ज करने के लिए बनेगा उच्चस्तरीय आयोग
इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का बयान दुबई में दर्ज करने के लिए एक उच्चस्तरीय न्यायिक आयोग गठित करने का सोमवार को आदेश दिया. इससे पहले, पूर्व सैन्य तानाशाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश होने से इन्कार कर दिया था. जनरल […]
इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का बयान दुबई में दर्ज करने के लिए एक उच्चस्तरीय न्यायिक आयोग गठित करने का सोमवार को आदेश दिया. इससे पहले, पूर्व सैन्य तानाशाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश होने से इन्कार कर दिया था.
जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ (75) मार्च, 2016 से दुबई में रह रहे हैं. उन पर वर्ष 2007 में संविधान को निलंबित करने को लेकर देशद्रोह का आरोप है. इसलिए उन पर वर्ष 2014 में अभियोग लगाया गया था. इस मामले में दोषी ठहराये जाने पर मौत की सजा या उम्रकैद की सजा हो सकती है.
पूर्व सैन्य प्रमुख इलाज के लिए दुबई गये थे और सुरक्षा तथा सेहत संबंधी कारणों का हवाला देकर तब से वतन नहीं लौटे हैं.
डॉन न्यूज ने खबर दी है कि मुशर्रफ के वकील ने विशेष अदालत की न्यायमूर्ति यवार अली, न्यायमूर्ति ताहिरा सफदर और न्यायमूर्ति नजर अकबर की पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल वीडियो लिंक के जरिये बयान दर्ज कराने में असमर्थ हैं, क्योंकि वह ‘अस्वस्थ’ हैं.
खबर में कहा है कि न्यायमूर्ति अली ने वकील से पूछा कि क्या मुशर्रफ को कैंसर है, तो उन्होंने प्रतिक्रिया दी कि पूर्व राष्ट्रपति को दिल से संबंधित तकलीफें हैं.
वकील ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि वह कायर नहीं हैं. वह खुद अदालत में पेश होना चाहते हैं और अपने बचाव में सबूत रखना चाहता हैं.’
न्यायमूर्ति अली ने कहा, ‘मुल्जिम अभी विदेश में है. उनके वकील के मुताबिक वह बहुत बीमार हैं.’
अभियोजन के वकील ने कहा, ‘परवेज मुशर्रफ का पुराना रिकॉर्ड हमारे सामने है. वह वीडियो लिंक के जरिये बयान दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं है.’
पीठ ने कहा, ‘हमें बताया गया है कि परवेज मुशर्रफ बीमारी की वजह से अदालत में पेश नहीं हो सकते हैं. वह देशद्रोह के मामले में बयान दर्ज कराना चाहते हैं.’
अदालत ने न्यायिक आयोग गठित करने का निर्णय किया है, जो यूएइ जाकर मुशर्रफ का बयान दर्ज करेगा. पीठ ने कहा कि आयोग के सदस्य और इसका दायरा बाद में तय किया जायेगा.
अगर किसी को आयोग गठित करने पर आपत्ति है, तो वह इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है. अदालत ने 14 नवंबर तक के लिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.