कोलंबो : मालदीव की सर्वोच्च अदालत ने रविवार को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने पिछले महीने के चुनावी नतीजों को निरस्त करने और ताजा चुनाव कराने का आग्रह किया था. अदालत ने उनकी हार की पुष्टि कर दी. सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि यामीन अपना यह दावा साबित करने में नाकाम रहे कि 23 सितंबर के मतदान में चुनावी कदाचार हुआ है. इस चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सोलिह जीते हैं.
अब्दुल्ला यामीनने अपनी याचिका में चुनाव आयोग पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. उनका आरोप था कि मतपत्र में गायब हो जानेवाली स्याही का इस्तेमाल किया गया जिससे उनका नाम मतपत्र से मिट गया. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ और चुनावी धांधली को लेकर लगाये गये आरोपों पर राष्ट्रपति यामीन सबूत पेश करने में नाकाम रहे. उल्लेखनीय है कि 23 सितंबर को हुए चुनाव में वह अपने प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से 16 प्रतिशत वोट से पिछड़ गये थे. चुनाव परिणाम का संयुक्त राष्ट्र, भारत, चीन और यूरोपीय संघ ने स्वागत किया था.
गौरतलब है कि यामीन ने पहले हार स्वीकार कर ली थी, लेकिन बाद में उन्होंने मतदान में अनियमितता का आरोप लगाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला अनपेक्षित नहीं है, क्योंकि बुधवार को यामीन ने जो भाषण दिया वह उनका विदाई भाषण माना जा रहा था. उधर, कोर्ट की सुनवाई के दौरान विपक्ष के कई समर्थक बाहर खड़े थे और नतीजे आते ही उन्होंने जश्न मनाना शुरू कर दिया. कोर्ट के आदेश के साथ ही सोलिह के राष्ट्रपति बनने की अड़चनें दूर हो गयी हैं और माना जा रहा है कि वह 17 नवंबर को पद ग्रहण करेंगे.