तेल अवीव: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पांच दिन की इस्राइल यात्रा पर रविवार की शाम तेल अवीव पहुंचे. अपनी इस यात्रा के दौरान उनका लक्ष्य कृषि, वानिकी और डेयरी के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करना है. सिंह के साथ अधिकारियों का एक शिष्टमंडल भी आया है.
कैप्टन सिंह कृषि, वानिकी, डेयरी और दूषित जल शोधन के क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न कंपनियों और संस्थानों का दौरा करेंगे, ताकि पंजाब की जरूरतें पूरी करने वाले मौकों का लाभ लिया जा सके. साथ ही वह पंजाब की आंतरिक सुरक्षा मजबूत बनाने के लिहाज से भी इस्राइली अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे.
इस यात्रा पर रवाना होने से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार इस्राइल की ओर से मिलने वाली आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाना चाहेगी.
यहां मंगलवार को ‘पंजाब में निवेश के अवसर’ गोष्ठी का आयोजन किया गया है. इसका लक्ष्य इस्राइल से पंजाब में निवेश आकर्षित करना है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) कृषि के क्षेत्र में सहयोग के लिए तेल अवीव विश्वविद्यालय और गैलिली इंस्टीट्यूट के साथ सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर करेगा. वहीं, देश की यात्रा पर आया शिष्टमंडल जल संरक्षण के क्षेत्र में एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर करेगा.
सिंह लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पंजाब के किसानों को सिर्फ धान एवं गेहूं की खेती नहीं करके अपनी फसलों में बदलाव लाना चाहिए. उन्हें राज्य के लगातार गिरते जलस्तर को ध्यान में रखते हुए ड्रिप इरीगेशन (बूंदों के जरिये होने वाली सिंचाई) और हाइड्रोपोनिक्स पर ध्यान देना चाहिए.
अपनी यात्रा से पहले इस्राइली शिष्टमंडल के साथ हुई मुलाकात में सिंह ने डेयरी के क्षेत्र में इस्राइली तौर-तरीके अपनाने में दिलचस्पी दिखायी थी. पंजाब खट्टे फलों के उत्पादन और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने में इस्राइल की मदद चाहता है. पंजाब पहले ही देश में ‘कीनू’ का सबसे बड़ा उत्पादक है और अब वह मीठे संतरों की बागवानी भी करना चाहता है. बाजार में मीठे संतरों की मांग और कीमत दोनों अच्छे हैं.
सिंह के नेतृत्व वाले शिष्टमंडल के समक्ष आंतरिक सुरक्षा के संबंध में इस्राइली विशेषज्ञता पर एक प्रस्तुति दी जायेगी और यात्रा के दौरान वे लोग इस्राइल की बड़ी सुरक्षा कंपनी की अकादमी का दौरा भी करेंगे.
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में इस्राइल के राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन, कृषि मंत्री उरी एरियन और ऊर्जा तथा जल संसाधन मंत्री युवाल स्टेनित्ज से मिलना शामिल है.
वह हाइफा की आजादी के लिए 1918 में हुई लड़ाई के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों की समाधि पर भी जायेंगे.