तमिलनाडु में मुख्यमंत्री जयललिता ने ‘अम्मा कैंटीन’ के बाद अब ‘अम्मा नमक’ शुरू किया है.
इसके तहत लोगों को सस्ते दाम पर नमक मुहैया कराया जाएगा, लेकिन जानकार इसे एक अहम रानजीतिक क़दम के तौर पर देखते हैं.
वरिष्ठ तमिल पत्रकार और जयललिता की राजनीति पर नज़र रखने वाली वासंती कहती हैं कि जयललिता का ‘अम्मा नमक’ शुरू करना तमिल की एक मशहूर कहावत के आधार पर है.
इस कहावत का अनुवाद कुछ यूं है, “जो भी आपको नमक देगा, अपनी आखिरी सांस तक आपको उसका वफ़ादार रहना होगा.”
जयललिता इससे पहले ‘अम्मा कैंटीन’, ‘अम्मा मिनरल वॉटर’ और ‘अम्मा सब्ज़ी की दुकानें’ शुरू कर चुकी हैं.
अम्मा नमक की तीन किस्में हैं-डबल फ़ोर्टिफ़ाइड, रिफ़ाइंड फ्री फ्लो आयोडाइज़्ड और लो सोडियम नमक. इनकी कीमत बाज़ार में उपलब्ध नमक के कई अन्य ब्रैंड से बहुत कम है.
डबल फ़ोर्टिफ़ाइड की कीमत 21 रुपए प्रति किलो के बाज़ार मूल्य की तुलना में 14 रूपए प्रति किलो, लो सोडियम की कीमत 25 रुपए प्रति किलो के बाज़ार मूल्य की तुलना में 21 रूपए प्रति किलो और आयोडीनयुक्त नमक की कीमत बाज़ार मूल्य 14-21 रूपए प्रति किलो की तुलना में 10 रुपए प्रति किलो है.
अम्मा ब्रांड
ब्रैंड कंसल्टेंट हरीश बिजूर कहते हैं, “अम्मा एक बहुत बढ़िया ब्रांड नाम है. ये आसानी से याद रहता है और अम्मा या मां की पूजा सब करते हैं. जयललिता को अम्मा भी कहते हैं और ये ब्रांड नाम उनकी छवि लोगों के दिमाग़ में बिठाने की कोशिश है. इसका मक़सद जयललिता को उनके वोटरों के लिए सर्वव्यापी बनाना है.”
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जयललिता की तरफ़ से शुरू की गईं अम्मा कैंटीनों में इडली एक रुपए में, सांबर चावल, लेमन राइस और पोंगल पांच-पांच रुपए में और दही चावल तीन रुपए में मिलते हैं. ये दाम किसी भी छोटे रेस्तरां या सड़क के किनारे बने ढाबों के दामों के मुकाबले कहीं कम हैं.
वहीं ‘अम्मा मिनरल वॉटर’ की एक लीटर की बोतल 10 रुपए में मिलती है. लेकिन ये सिर्फ़ राज्य परिवहन निगम के बस स्टॉपों पर बिकती है क्योंकि इसकी फ़ैक्टरी पालार नदी के नज़दीक ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े पर है.
अम्मा मिनरल वॉटर इसलिए शुरू किया गया था क्योंकि ये ज़मीन ख़ाली पड़ी थी और इसका दूसरा मक़सद निगम के नुकसान को कम करना भी था.
महंगाई
इसी तरह ‘अम्मा सब्ज़ी की दुकानों’ पर भी काफ़ी कम दाम में सब्ज़ियां बिकती हैं. आख़िर इस सबसे जयललिता क्या हासिल कर रही हैं?
हरीश बिजूर कहते हैं, “लोगों की मूलभूत ज़रूरतें और आकांक्षाएँ पूरी हो रही हैं. महंगाई आज प्रमुख मुद्दा है. जयललिता ने ये बात समझ ली है. इसलिए वो अपने मतदाताओं को महंगाई की मार से बचा रही हैं.”
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बिजूर कहते हैं कि अपने मतदाताओं की इन मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के साथ ही जयललिता कुछ और भी हासिल कर रही हैं.
वे कहते हैं, “वे एक समतावादी या भेदभावरहित व्यवस्था स्थापित कर रही हैं जो कहती है कि आप लोगों की सेवा भी कीजिए और कमाई भी. (मुफ़्त) लैपटॉप बांटने के दिन अब बीत गए हैं. अब बात ब्रैंड बनाने की है और जयललिता के मामले में उस ब्रैंड से फ़ायदा लेने की. इसलिए अम्मा एक बेहतरीन ब्रैंड नाम है.”
धुंधली लकीर
ग्रामीण इलाकों में आरती करके नेताओं का स्वागत करना आम बात है. चुनाव प्रचार के दौरान गांव वालों का प्रत्याशियों को दूध का गिलास देना उनके समर्थन का सूचक होता है.
इन मौकों पर उत्तरी कर्नाटक और दक्षिणी महाराष्ट्र में नमक की जगह दूध ले लेता है.
उत्तर कर्नाटक के बेलगाम ज़िले में एक प्रत्याशी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि साल 2008 में विधान सभा चुनाव में कई गांवों में दूध की पेशकश के बावजूद वे हार गए.
मई 2013 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान इस प्रत्याशी ने उनमें से कुछ गांवों में जाकर कहा, “पिछली बार आपने मुझे दूध पिलाया था और वोट देने का भरोसा दिया था. इसलिए अगर आप मुझे धोखा न देने का वादा करें तभी मैं आपका दिया हुआ दूध पीऊंगा, अन्यथा नहीं.”
इस बार गांव वालों ने अपनी बात रखी.
नमक हलाली और नमक हरामी के बीच बहुत धुंधली लकीर है लेकिन ये लकीर बहुत भावनात्मक है. मंहगाई से निपटने की अपनी योजनाओं से जयललिता इन्हीं भावनाओं को छूती हैं.
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