श्रीलंका में संवैधानिक संकट, राष्ट्रपति ने विक्रमासिंघे को हटा राजपक्षे को बनाया पीएम

श्रीलंका में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है. श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री के पद पर वापसी की है. देश के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जा रहा है. जबकि बीबीसी सिंहली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2018 12:09 PM

श्रीलंका में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है.

श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री के पद पर वापसी की है. देश के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जा रहा है.

जबकि बीबीसी सिंहली के संवाददाता आज़म अमीन के मुताबिक, रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि उनके पास संसद में बहुमत है और बहुमत रहने तक वह प्रधानमंत्री बने रहेंगे.

मंत्रिमंडल के प्रवक्ता और मंत्री रजिता सेनारत्ने ने भी बीबीसी से बातचीत में कहा कि रानिल विक्रमासंघे ही श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं.

https://twitter.com/AzzamAmeen/status/1055846394030841856

https://twitter.com/AzzamAmeen/status/1055886925125439488

महिंदा राजपक्षे ने ट्विटर अकाउंट पर अपना परिचय बदलकर ख़ुद को श्रीलंका का प्रधानमंत्री बताया है. जबकि रानिल विक्रमासिंघे की ट्विटर प्रोफाइल पर अब भी उन्होंने ख़ुद को प्रधानमंत्री लिखा हुआ है.

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाए जाने की सूचना देते हुए चिट्ठी भेजी है.

https://twitter.com/AzzamAmeen/status/1055869845114212353

वहीं वित्त और मीडिया मामलों के मंत्री मंगला समरवीरा ने राजपक्षे की नियुक्ति को असंवैधानिक और अवैध बताया है.

https://twitter.com/MangalaLK/status/1055838461112967168

राष्ट्रपति ने अपने विरोधी को बनाया प्रधानमंत्री

महिंद्रा राजपक्षे को ही मौजूदा राष्ट्रपति सिरीसेना ने पिछले राष्ट्रपति चुनावों में सीधी टक्कर में हराया था.

अपने विरोधी को अपनी ही सरकार का प्रधानमंत्री बनाकर मैत्रीपाला सिरीसेना ने सबको चौंका दिया है.

ये नियुक्ति राष्ट्रपति सिरीसेना के उस फ़ैसले के तुरंत बाद हुई जिसमें उनकी पार्टी ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार छोड़ रही है. ये सरकार मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे की यूएनपी पार्टी के साथ मिलकर चलाई जा रही थी.

आर्थिक नीतियों और रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाज को लेकर सिरीसेना और प्रधानमंत्री विक्रमासिंघे के बीच मतभेद थे. विक्रमासिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी 2015 से गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही थी.

इससे पहले यूएनपी ने कहा था कि राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे को हटाने का कोई अधिकार नहीं है.

गठबंधन सरकार में मंत्री रहे यूएनपी के मंगला समरवीरा ने ट्वीट किया, "राजपक्षे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति असंवैधानिक और गैरक़ानूनी है. ये लोकतंत्र विरोधी तख्तापलट है."

https://twitter.com/MangalaLK/status/1055838461112967168

हत्या की साज़िश

https://twitter.com/airnewsalerts/status/1055835789446262792

पिछले कुछ हफ़्तों श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच सरकार को चलाने को लेकर रस्साकशी चल रही थी.

हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया था जिनमें ये दावा किया गया था कि उन्होंने भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ पर अपनी हत्या की साजिश करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बात भी की थी.

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका का "सच्चा दोस्त" बताया. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो दोनों देश के साझे हितों के लिए किए गए गठजोड़ का सम्मान करते हैं. और भारत- श्रीलंका के रिश्तों को मज़बूत बनाने के लिए वो आगे भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करेंगे.

इस बीच, बीजेपी नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, "मेरे दोस्त महिंदा राजपक्षे को अभी-अभी श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है."

उन्होंने एक और ट्वीट किया, "मैं अब मालदीव और अफ़ग़ानिस्तान पर काम करूंगा."

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