रोमन पोलंस्की का नया सिनेमाई दर्शन

अजित राय संपादक, रंग प्रसंग, एनएसडी अपने 25वें वर्ष में विश्व सिनेमा के महान फिल्मकारों में शुमार रोमन पोलंस्की ने जो नया सिनेमाई दर्शन पेश किया है, उस पर बहस जारी है. वे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर हम धोखेबाज तस्वीरों और सूचनाओं से घिरे हुए है. कोई भी आज ऐसी झूठी सूचनाओं और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2018 12:11 AM
अजित राय
संपादक, रंग प्रसंग, एनएसडी
अपने 25वें वर्ष में विश्व सिनेमा के महान फिल्मकारों में शुमार रोमन पोलंस्की ने जो नया सिनेमाई दर्शन पेश किया है, उस पर बहस जारी है.
वे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर हम धोखेबाज तस्वीरों और सूचनाओं से घिरे हुए है. कोई भी आज ऐसी झूठी सूचनाओं और तस्वीरों से एक मिनट में आपका जीवन बर्बाद कर सकता है. एक सच्चे लेखक के लिए सोशल मीडिया के फरेब से बचना आज की सबसे बड़ी चुनौती है.
अपनी नयी फिल्म ‘बेस्ड ऑन अ ट्रू स्टोरी’ में उन्होंने विस्तार से इस सिनेमाई दर्शन को पेश किया है. उन्होंने यथार्थ और फंतासी का रोमांस रचने की कोशिश की है. फिल्म ‘बेस्ड ऑन अ ट्रू स्टोरी’ डेल्फीने डि विगान के बेस्ट सेलर उपन्यास का सिनेमाई संस्करण है तथा साहित्य-सिनेमा के बीच इश्क का बेहतरीन नमूना.
उनकी पिछली फिल्म ‘द घोस्ट राइटर’ (2010) भी राॅबर्ट हेरीज के उपन्यास पर बनी थी, जो राजनीतिक कारणों से चर्चित हुई थी, क्योंकि पोलंस्की ने इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के महल में रासायनिक हथियार होने के मामले में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के झूठे हलफनामे का पर्दाफाश किया था. लेकिन, इस बार ‘बेस्ड ऑन अ ट्रू स्टोरी’ में पोलंस्की ने विशुद्ध रूप से दो स्त्रियों के रिश्तों का काव्यात्मक संसार रचा है.
पचपन साल के फिल्मी सफर में इस दिग्गज फिल्मकार ने विश्व सिनेमा में कई मील के पत्थर दिये हैं. पहली ही फिल्म ‘नाइफ इन द वाटर’ (1962) से दुनियाभर में चर्चित राजमंड रोमन थेरी पोलंस्की की ‘द पियानिस्ट’ (2002) एक क्लासिक है.
पिछले दिनों फिल्म समारोहों में उनका आना बड़ी घटना रही, क्योंकि एक कम उम्र लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में उन्हें पहले जेल, और बाद में अपने घर में बंदी होना पड़ा था. वे कहते हैं- ‘लोग अब काल्पनिक कथाओं से ऊब गये हैं. उन्हें सच्चाई चाहिए, क्योंकि हमारे चारों ओर झूठी खबरों का अंबार लगा है.’
‘बेस्ड ऑन अ ट्रू स्टोरी’ की नायिका डेल्फीने डिएरियों कई बेस्ट सेलर उपन्यास लिखनेवाली एक सेलिब्रेटी लेखिका है, जो अपने नये उपन्यास की बेशुमार सफलता के बाद बुरी तरह निचुड़ चुकी है और ‘राइटर्स ब्लॉक’ (मानसिक ठहराव) का शिकार हो गयी है. उसका पति उससे दूर जा चुका है.
तभी उसके जीवन में एक रहस्यमयी युवती आती है, जिसका नाम एल है. वह खुद को घोस्ट राइटर बताती है. धीरे-धीरे इन दो स्त्रियों के बीच अप्रत्याशित रिश्ता बनता चला जाता है.
साहित्य सृजन की सूक्ष्म प्रक्रिया से गुजरते हुए एक सेलिब्रेटी लेखिका की रोजमर्रा की जिंदगी की छवियां फिल्म का सबसे ताकतवर पक्ष है. लेकिन यहां साहित्य की राजनीति बिल्कुल नहीं है. दो स्त्रियों का निजी संसार जितना खुलता है, उतना ही रहस्यमय होता जाता है.
तीन अलग-अलग दृश्यों में एल बारी-बारी से जूस निकालनेवाली मशीन, लैपटॉप और मोबाइल फोन तोड़ती दिखायी गयी है. वह कहती है कि सोशल मीडिया के नकली संसार से ऊब हो गयी है. ये डिवाइस हमें सच से दूर कर रहे हैं. सीढ़ियों से गिरकर पैर टूटने के बाद डेल्फीने डिएरियों और एल के रिश्तों की फंतासी फिल्म को क्लाइमेक्स तक ले जाती है, जहां हमें लगता है कि एल कहीं लेखिका का गढ़ा हुआ काल्पनिक चरित्र तो नहीं है.
पोलंस्की का कहना है कि लोग अब चौंका देनेवाले ट्विस्ट और नकली कथाओं से ऊब गये हैं. उनमें सच्चाई की तलब बढ़ी है. पोलंस्की चाहे जो कहें, पर फिल्मकारों के लिए सोशल मीडिया या न्यू मीडिया और इसके उपकरणों से बचना आज लगभग असंभव हो गया है. मसलन पोलंस्की के ही समकालीन माइकल हेनेके की नयी फिल्म ‘हैप्पी एंड’ में तो स्मार्टफोन एक ताकतवर सिनेमाई डिवाइस बनकर आया है.

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