कोलंबो : श्रीलंका में उत्पन्न राजनीतिक संकट ने हिंसक हिंसक रूप ले लियाहै. बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के विश्वस्त और पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन राणातुंगा के अंगरक्षकों ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के समर्थकों पर फायरिंग कर दी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी. दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये. इस सिलसिले में दो सुरक्षाकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
यह हादसा रविवार को उस वक्त हुआ, जब क्रिकेटर से राजनेता बने राणातुंगा ने सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन का दौरा किया. जब राणातुंगा ने इमारत में प्रवेश किया, तो राजपक्षे के समर्थकों ने उनका विरोध किया और उन्हें बंधक बनाने की कोशिश की. मंत्री के बचाव में उनके अंगरक्षकों ने गोलियां चलायीं, जिसमें तीन लोग घायल हो गये.
दरअसल, कई मुद्दों पर मतभेद के कारण राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व दिग्गज राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. इसके बाद तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सिरीसेना ने शनिवार को 16 नवंबर तक संसद निलंबित कर दी थी और विक्रमसिंघे की सुरक्षा और विशेषाधिकार वापस ले ली थी.
इसके बाद से ही देश में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है. रविवार को राजधानी कोलंबो में सुरक्षा बढ़ा दी गयी और सेना, पुलिस और विशेष कार्य बल को राष्ट्रपति सचिवालय के आस-पास तैनात कर दिया गया. अहम इमारतों के पास सड़कों पर सैनिक भी तैनात हैं.
स्पीकर जयसूर्या ने कहा : विक्रमसिंघे ही पीएम
श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने रविवार को रानिल विक्रमसिंघे को बड़ी राहत देते हुए उन्हें देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता दे दी. उन्होंने राष्ट्रपति से विक्रमसिंघे को सरकार के नेता के तौर पर मिले विशेषाधिकार फिर से बहाल करने को कहा. विक्रमसिंघ के बारे में स्पकीर जयसूर्या ने कहा कि उन्होंने लोकतंत्र एवं सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल किया है. संसद को निलंबित करने का फैसला स्पीकर के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए. 16 नवंबर तक संसद भंग रखने से हमारे देश को गंभीर एवं अवांछनीय परिणाम भुगतने होंगे और मैं आपसे विनम्र आग्रह करता हूं कि इस पर फिर से विचार करें.
अब भी प्रधानमंत्री दफ्तर में जमे हैं विक्रमसिंघे
विक्रमसिंघे अब भी प्रधानमंत्री के सरकारी आवास एवं दफ्तर में जमे हुए हैं. यूएनपी ने कहा कि विक्रमसिंघे को बर्खास्त करना गैरकानूनी है और वह राष्ट्रपति द्वारा संसद का सत्र बुलाये जाने और बहुमत साबित करने तक काम करते रहेंगे. वह अब भी प्रधानमंत्री हैं. इधर, विक्रमसिंघे ने कहा कि उनके स्थान पर राजपक्षे का शपथ ग्रहण अवैध और असंवैधानिक है और वह संसद में अपना बहुमत साबित करेंगे. इधर, श्रीलंकाई मीडिया ने भी प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने को संवैधानिक तख्तापलट बताया है.
श्रीलंकाकी राजनीतिक गतिविधियों पर हमारी नजर : भारत
नयी दिल्ली. भारत ने रविवार को कहा कि वह श्रीलंका में राजनीतिक गतिविधियों पर करीबी नजर रखे हुए है और उसे उम्मीद है कि द्वीपीय देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जायेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत, श्रीलंका के लोगों के विकास के लिए अपना सहयोग जारी रखेगा. भारत श्रीलंका में कई परियोजनाओं में शामिल है. इधर, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा कि राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के राष्ट्रपति सिरिसेना के फैसले से इस देश के एक बार फिर गलत रास्ते पर जाने का भय उत्पन्न हो गया है.
उद्दंडता के चलते विक्रमसिंघे को किया बर्खास्त : सिरीसेना
सिरीसेना ने कहा कि ‘उद्दंड’ बर्ताव के चलते विक्रमसिंघे को बर्खास्त किया गया. उन्होंने सुशासन की अवधारणा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया, जबकि भ्रष्टाचार और बरबादी हर तरफ आम हो गयी. नीतिगत मामलों हम दोनों के बीच विशाल अंतराल था. मैं मानता हूं कि हमारे बीच के सांस्कृतिक और नीतिगत मतभेद ने इस राजनीतिक एवं आर्थिक संकट में योगदान किया. बॉन्ड घोटाले के चलते देश अभूतपूर्व आर्थिक में फंस गया.