विश्व कप 2014: फ़ुटबॉल की घर वापसी
शोभन सक्सेना साओ पाओलो से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए 16 जुलाई, 1950 का दिन था, मौक़ा था ब्राज़ील और उरुग्वे के बीच फ़ुटबॉल विश्व कप का फ़ाइनल मुक़ाबला. ब्राज़ील की जनता सुबह से जश्न मना रही थी, उन्हें इस बात का पूरा यक़ीन था कि जीत उन्हीं की होगी. मुक़ाबले के दिन माराकना स्टेडियम […]
16 जुलाई, 1950 का दिन था, मौक़ा था ब्राज़ील और उरुग्वे के बीच फ़ुटबॉल विश्व कप का फ़ाइनल मुक़ाबला. ब्राज़ील की जनता सुबह से जश्न मना रही थी, उन्हें इस बात का पूरा यक़ीन था कि जीत उन्हीं की होगी.
मुक़ाबले के दिन माराकना स्टेडियम में तक़रीबन 2,20,000 दर्शक मौजूद थे. ब्राज़ीली खिलाड़ी फ्रियाका के मैच का पहला गोल दाग़ते ही ऐसा लगा कि सब कुछ ब्राज़ील की योजना के अनुरूप होने जा रहा है. लेकिन आख़िरकार उरुग्वे ने मैच 2-1 से जीत कर विश्व कप अपने नाम कर लिया.
फ़ुटबॉल विश्व कपः ब्राज़ील के लिए ‘ईश्वर’ दागेंगे गोल
विशालकाय स्टेडियम में ख़ामोशी छा गई. जिस दिन को ब्राज़ीली अपने सबसे अच्छे दिन के रूप में देख रहे थे वो दिन उनके इतिहास के सबसे बुरे दिन में से एक में बदल गया.
ब्राज़ीली मीडिया ने इस मुक़ाबले को ‘मैराकैनाज़ो’ यानी ‘बड़ी त्रासदी’ का नाम दिया. यहाँ किसी बड़ी त्रासदी के लिए अब भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है.
64 साल बाद दुनिया एक बार फिर ब्राज़ील का रुख़ कर रही है. कई लोग मान रहे हैं कि इस बार इसका आयोजन त्रासद होगा क्योंकि देश में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन और हिंसा का दौर चल रहा है.
लेकिन 2014 और 1950 में काफ़ी फ़र्क़ है. बहुत से ब्राज़ीलियों के लिए फ़ुटबॉल विश्व कप का मामला केवल फ़ुटबॉल से नहीं जुड़ा है.
विश्व कप से आया बदलाव
इस विश्व कप ने पिछले कुछ सालों में ब्राज़ील को सामाजिक और आर्थिक तौर पर नाटकीय रूप से बदल दिया है.
ब्राज़ील की राष्ट्रपति दिल्मा रुसेफ़ ने वादा किया है कि ये विश्व कप सभी विश्व कप मुक़ाबलों का ‘सबसे शानदार मुक़ाबला’ होगा. ध्यान रहे कि ब्राज़ील में अक्तूबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं.
विश्व कप के सभी 32 लाख टिकट बिक चुके हैं और छह लाख विदेशी पर्यटकों के विश्व कप के दौरान ब्राज़ील आने की उम्मीद है. ब्राज़ील के लिए यह विश्व कप एक निर्णायक मौक़ा साबित होगा.
बोलीविया के राष्ट्रपति को फ़ुटबॉल क्लब ने साइन किया
ब्राज़ील के खेल मंत्री एल्डो रेबेलो कहते हैं, "कुछ हताश लोग विश्व कप के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे हैं लेकिन इससे आयोजन पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा."
वो कहते हैं, "विरोध प्रदर्शन हल्के पड़ते जा रहे हैं और सामान्य जनता मुक़ाबलों का इंतज़ार कर रही है."
ब्राज़ील में फ़ीफ़ा का जब भी कोई आयोजन हुआ है यहाँ उसे लेकर प्रतिक्रिया ज़रूर होती है, चाहे वो सकारात्मक हो, या नकारात्मक.
पिछले साल ब्राज़ील में हुए कन्फ़ेडेरशन कप के दौरान हज़ारों लोग बस भाड़े में बढ़ोतरी के विरोध में सड़कों पर उतर गए थे. उनकी मांगों में जल्द ही अच्छे स्कूल और अस्पताल की मांग भी शामिल हो गई.
कुछ लोगों को डर है कि विश्व कप के दौरान भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं. साओ पाओलो में 12 जून को विश्व कप का पहला मुक़ाबला होने में अब बस कुछ घंटे और हैं और यहाँ की जनता का मिज़ाज बदलता नज़र आ रहा है.
हर जगह फ़ुटबॉल का रंग
ब्राज़ील के बड़े शहरों से लेकर छोटे क़स्बों तक, दुकानें और गलियाँ देश के झंडे में शामिल पीले और हरे रंग में रंग गए हैं. मेट्रो ट्रेन, कॉफ़ी शॉप से लेकर आवासीय इलाक़ों में लोग ‘कोपा डो मुंडो’ (विश्व कप) के बारे में बात कर रहे हैं.
फोल्हा डे साओ पाओलो अख़बार के वरिष्ठ स्तंभकार एंटोनियो प्रैता ने लिखा, "जब दुनिया के सबसे बेहतरीन फ़ुटबॉल खिलाड़ी हमारे स्टेडियम में खेल रहे हैं तो फिर विरोध प्रदर्शन का क्या मतलब है. इससे हमें शिक्षा या अस्पताल नहीं मिल जाएगा."
गुरुवार को साओ पाओलो के इताक्वेरा स्टेडियम में ब्राज़ील और क्रोएशिया के बीच होने वाले इस विश्व कप के पहले मैच की शुरुआत के साथ ही धरती के सबसे बड़े खेल आयोजन का आग़ाज़ हो जाएगा.
पिछले गुरुवार को जब एक अभ्यास मैच के लिए ब्राज़ील की फ़ुटबॉल टीम साओ पाओलो शहर में पहुँची तो दो करोड़ 10 लाख जनसंख्या वाले इस शहर में भयंकर ट्रैफ़िक जाम लगा हुआ था क्योंकि शहर में मेट्रो रेल के कर्मचारियों की हड़ताल रही थी.
ब्राज़ीलः विश्व कप से पहले सड़कों पर प्रदर्शन
इस हड़ताल से कई लोगों में काफ़ी आक्रोश था. नतालिया मेंडेस नामक एक स्कूल टीचर कहती हैं, "यह तो ब्लैकमेल करना है. ये लोग अपने मामूली राजनीतिक फ़ायदे के लिए लोगों के लिए काफ़ी परेशानी खड़ा कर रहे हैं."
नतालिया को स्कूल जाने के लिए दो बार ट्रेन बदलनी पड़ती है. वे कहती हैं, "कर्मचारी संगठन जानते हैं कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए ये अच्छा वक़्त है. इसीलिए वे ये मुसीबत खड़ी कर रहे हैं."
पिछले कुछ महीनों में आम ब्राज़ीली विश्व कप विरोधी प्रदर्शनों से दूर रहा है. जिन तीन शहरों रियो डी जेनेरियो, साओ पाओलो और ब्रासिलिया में पिछे कुछ हफ़्तों में रैलियाँ आयोजित की गईं, वो आकार में छोटी और शांतिपूर्ण रहीं.
ये सभी रैलियाँ कर्मचारी संगठनों द्वारा आयोजित की गईं. इनमें से कई संबंध ब्राज़ील की विपक्षी राजनीतिक दलों से है.
फ़ुटबॉल का देश
ब्राज़ील को इस बात पर गर्व है कि वो फ़ुटबॉल के देश के रूप में जाना जाता है. यही कारण है कि फ़ुटबॉल के सबसे बड़े आयोजन के घर वापसी पर यहाँ के लोगों में उत्तेजना है.
विश्व कप के तक़रीबन सभी टिकटों के बिक जाने से भी लोगों के उत्साह का पता चलता है. पिछले बुधवार को जब फ़ीफ़ा ने कुछ बचे हुए टिकटों को बेचने की घोषणा की तो टिकट खिड़की पर लोग सुबह तीन बजे से ही लाइन में लग गए थे.
साओ पाओलो के आसपास के इलाक़ों में लोग अपनी गलियों को हरे और पीले रंग में रंग रहे हैं. घरों, दुकानों और शराबघरों तक पर ब्राज़ील के झंडे लहरा रहे हैं.
जहाँ तक आयोजन की तैयारी का सवाल है, सब कुछ सही लग रहा है. सभी 12 स्टेट-ऑफ़-दी-आर्ट स्टेडियम खेल के लिए तैयार हैं.
विदेशी टीमें देश के विभिन्न शहरों में पहुँचना शुरू कर चुकी हैं ताकि वो यहाँ के मौसम इत्यादि के अनुरूप ढल सकें. यहाँ के माहौल से लगता है कि ब्राज़ील इस खेल के सबसे बड़े मुक़ाबले के आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार हो गया है.
छठी जीत की उम्मीद
ब्राज़ील की टीम को 1958 से लेकर अब तक पाँच बार विश्व कप जीत मिली है. हर जीत के लिए टीम के झंडे पर एक सितारा बनाया गया है. यहाँ के लोग ‘छठे सितारे’ के बारे में बात करने से ख़ुद को रोक नहीं पा रहे हैं.
12 जून को फ़ुटबॉल विश्व कप की शुरुआत के साथ ही ब्राज़ील के गौरवशाली फ़ुटबॉल इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा. स्पेन, जर्मनी, अर्जेंटिना जैसे देशों की मज़बूत टीमों के रहते ब्राज़ील के लिए रिकॉर्ड छठी बार विश्व कप जीतना आसान नहीं है.
ब्राज़ील के कोच स्कोलरी और उनकी टीम आगामी मुक़ाबलों की रणनीति बनाते वक़्त कम से कम एक बात के लिए ज़रूर आश्वस्त होंगे कि आम ब्राज़ीली नागरिकों का समर्थन पूरी तरह उनके साथ है.
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