कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त करके पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. सिरिसेना के इस कदम से देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है . इस संकट के समाधान के क्या रास्ते निकल सकते हैं, उसे समझने से पहले हमें सरकार, संविधान और इस देश के प्रमुख नेताओं की भूमिका को समझना होगा.
सरकार- श्रीलंका में सरकार की सेमी-प्रेसीडेंशियल प्रणाली है जिसमें प्रधानमंत्री और कैबिनेट के साथ एक राष्ट्रपति होता है. देश की संसद के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार होता है. श्रीलंका में राष्ट्रपति को अमेरिका में राष्ट्रपति से ज्यादा अधिकार प्राप्त हैं. यहां कार्यान्वय के अधिकार राष्ट्रपति के पास हैं. वह संसद सत्र बुला सकते हैं, निलंबित कर सकते हैं या सत्रावसान कर सकते हैं. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के साथ सलाह मशविरा कर कैबिनेट की नियुक्ति करते हैं. श्रीलंका के प्रमुख नेता-
मैत्रीपाला सिरिसेना – मौजूदा राष्ट्रपति जिनके व्यापक राजनीतिक मोर्चा यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया. रानिल विक्रमसिंघे- यूएनपी के वरिष्ठ नेता जिन्हें पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया. महिंदा राजपक्षे- दो बार राष्ट्रपति रहे. मौजूदा राष्ट्रपति ने पिछले दिनों नाटकीय घटनाक्रम में नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया. श्रीलंका में राजनीतिक संकट क्यों?-
2015 में लागू 19वें संविधान संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति के पास अपने विवेक से प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार नहीं है. प्रधानमंत्री को तभी हटाया जा सकता है, जब कैबिनेट को बर्खास्त किया जाए या प्रधानमंत्री इस्तीफा दें या प्रधानमंत्री संसद के सदस्य नहीं रहें. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर ही किसी मंत्री को हटा सकते हैं. संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किये जाने का समर्थन करने से इनकार किया है.