क्या मोबाइल नपुंसक बना सकता है?

जेम्स गैलाघर स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता, बीबीसी न्यूज़ शोधकर्ताओं का कहना है कि मोबाइल फ़ोन से शुक्राणु की संख्या पर खतरे को जानने के लिए अभी और अधिक अध्ययन की ज़रूरत है. एक्सेटर विश्वविद्यालय की ओर से किए गए तथ्यों के अध्ययन में कहा गया था कि जेब में मोबाइल फ़ोन रखने से शुक्राणुओं की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2014 5:00 PM
क्या मोबाइल नपुंसक बना सकता है? 2

शोधकर्ताओं का कहना है कि मोबाइल फ़ोन से शुक्राणु की संख्या पर खतरे को जानने के लिए अभी और अधिक अध्ययन की ज़रूरत है.

एक्सेटर विश्वविद्यालय की ओर से किए गए तथ्यों के अध्ययन में कहा गया था कि जेब में मोबाइल फ़ोन रखने से शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गति प्रभावित होती है.

हालांकि एक शुक्राणु वैज्ञानिक का कहना है कि इसके प्रमाण अब भी अपूर्ण हैं और उनका फ़ोन अब भी उनकी जेब में ही रहता है.

एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में कहा गया है कि विद्युत चुम्बकीय विकिरण को शुक्राणुओं की संख्या कम होने के लिए ज़िम्मेदार माना जाना चाहिए.

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इसके अंतर्गत 1,492 लोगों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता के 10 अलग-अलग शोधों का विश्लेषण किया गया. इनमें मोबाइल फ़ोन के विकिरण के संपर्क में आने वाले शुक्राणुओं के प्रयोगशाला में परीक्षण और प्रजनन क्लीनिक में पुरुषों के द्वारा भरी जानी वाली प्रश्नावली भी शामिल थी.

कमज़ोर प्रमाण

प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर फियोना मैथ्यूज ने बीबीसी को बताया कि इन सबमें से एक में ही मोबाइल फ़ोन के संपर्क और कमज़ोर गुणवत्ता वाले शुक्राणुओं में संबंध का पता चला है.

उन्होंने कहा, "अध्ययन से जो संदेश निकल के आ रहे हैं वह यह है कि मोबाइल फ़ोन के उपयोग के साथ उसी अनुपात में शुक्राणु की गतिशीलता में गिरावट आती है, यह गिरावट आठ प्रतिशत तक है."

"मुझे लगता है कि आम आदमी को घबराने की ज़रूरत नहीं है. यदि आपको अपनी प्रजनन शक्ति को लेकर संभावित दिक्कत के बारे में जानकारी है तो आप इसे एक और ध्यान देने योग्य मुद्दा मान सकते हैं. जैसे आप अपने खाने में बदलाव लाते हैं वैसे ही फ़ोन रखने की जगह बदलने के बारे में भी सोच सकते हैं."

उन्होंने प्रमाण की गुणवत्ता के संबंध में अन्य वैज्ञानिकों की आलोचना को स्वीकार किया और "साफ़ तौर पर और अधिक शोध किए जाने" की बात कही.

डॉक्टर मैथ्यूज कहती हैं, "यह दिलचस्प है, लेकिन हम बिल्कुल यह नहीं कह रहे हैं कि अपनी जेब में फ़ोन रखने वाला हर कोई नपुंसक हो जाएगा."

हालांकि शुक्राणु मोबाइल फ़ोन के कारण कैसे क्षतिग्रस्त हो सकता है, यह स्पष्ट नहीं है.

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एक विचार यह है कि फ़ोन से निकलने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण शुक्राणु उत्पादन के चक्र में खलल डालते हैं या डीएनए को नुक़सान पहुंचाते हैं.

एक अन्य विचार यह है कि सीधे फ़ोन से या विकिरण के माध्यम से निकलने वाली गर्मी शुक्राणु को प्रभावित कर सकती है.

शुक्राणुओं पर शोध करने वाले शेफील्ड विश्वविद्यालय के डॉक्टर एलन पैकी इससे संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने कहा कि इसके प्रमाण की गुणवत्ता ख़राब है और वह अपनी फ़ोन रखने की जगह नहीं बदलने वाले.

उन्होंने बीबीसी को बताया, "पैंट की जेब में मोबाइल फ़ोन रखना कुछ समय के लिए इसलिए चिंता का विषय रहा है कि इससे वीर्य की गुणवत्ता और पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है."

वह कहते हैं कि आज तक किए गए शोधों में ज़्यादा गुंजाइश नहीं है. या तो उन्होंने एक बर्तन में शुक्राणुओं को रेडियोधर्मी किरणों के सामने रखा या फिर आदमी के फ़ोन इस्तेमाल करने की आदतों के आधार पर अनुमान लगा लिए, बगैर अन्य चीज़ों- जैसे कि उसकी जीवनशैली पर ध्यान दिए बिना.

"दरअसल हमें ज़रूरत महामारी विज्ञान के सलीके के अध्ययन की ज़रूरत है जिसमें मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के साथ ही जीवनशैली और आदतों का भी हिसाब रघा जाए."

"और तब तक मैं अपना फ़ोन अपनी पैंट की दाहिनी जेब में ही रखता रहूंगा."

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