बांग्लादेश में दो युद्ध अपराधियों को फांसी, पाक सेना से मिलकर किया था हिंदुओं का कत्लेआम

ढाका : बांग्लादेश के एक विशेष अधिकरण ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों, युद्ध अपराधों और पाकिस्तानी सैनिकों की मदद करने को लेकर सत्तारूढ़ अवामी लीग के एक पूर्व नेता सहित दो लोगों को सोमवार को फांसी की सजा सुनायी. बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध अधिकरण के तीन न्यायाधीशों की पीठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2018 6:26 PM

ढाका : बांग्लादेश के एक विशेष अधिकरण ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों, युद्ध अपराधों और पाकिस्तानी सैनिकों की मदद करने को लेकर सत्तारूढ़ अवामी लीग के एक पूर्व नेता सहित दो लोगों को सोमवार को फांसी की सजा सुनायी. बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध अधिकरण के तीन न्यायाधीशों की पीठ के प्रमुख मोहम्मद शाहीनुर इस्लाम ने दोनों लोगों को दोषी ठहराने के बाद उन्हें फांसी की सजा सुनायी. दोनों दोषियों की उम्र 60 साल के आसपास है और वे फरार हैं.

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अभियोजन के वकीलों ने इन दोनों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना का समर्थन करते हुए अपने इलाकों के आसपास लगभग 100 लोगों की हत्या कर दी. इस हत्याकांड में अधिकतर हिंदू अल्पसंख्यक थे. यह मुकदमा उनकी गैर-मौजूदगी में चला. दोषियों में एक लियाकल अली अवामी लीग की पूर्वोत्तर किशोरगंज में लखई उप जिले का प्रमुख था.

बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम के दौरान अपराधों के लिए 53 लोगों को फांसी की सजा सुनायी गयी. इनमें अधिकतर कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के नेता हैं, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था. दोषियों में कुछ लोग मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी के भी सदस्य हैं.

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