ईरान पर अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, सोमवार से लागू हो गया बैन

वाशिंगटन : ईरान के खिलाफ सोमवार से प्रभावी हुए अमेरिका के अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों के बारे में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसे इस बात का भरोसा है कि ईरान सरकार के बर्ताव को बदलने में ये प्रतिबंध कारगर सबित होंगे. हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपिओ से जब पूछा गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2018 7:20 PM

वाशिंगटन : ईरान के खिलाफ सोमवार से प्रभावी हुए अमेरिका के अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों के बारे में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसे इस बात का भरोसा है कि ईरान सरकार के बर्ताव को बदलने में ये प्रतिबंध कारगर सबित होंगे. हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपिओ से जब पूछा गया कि क्या भारत और चीन ने अमेरिका को यह भरोसा दिलाया है कि छह महीने के भीतर वे ईरान से तेल खरीद पूरी तरह बंद कर देंगे, तो वह इस सवाल को टाल गये.

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अमेरिका ने ईरान के बैंकिंग और पेट्रोलियम क्षेत्र पर यह पाबंदी लागू की है. इसमें ईरान से तेल खरीदने वाले यूरोप, एशिया तथा अन्य सभी देशों और कंपनियों पर भी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का प्रावधान है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई, 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था. ट्रंप ने कहा कि वह ईरान को परमाणु मुद्दे पर फिर से बातचीत की मेज पर वापस लाना चाहते हैं.

अमेरिकी सरकार ने कहा है कि वह साइबर हमले, बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण, पश्चिम एशिया में आतंकी समूहों का समर्थन जैसी ईरान की घातक गतिविधियों को रोकना चाहता है. भारत और चीन ईरान से कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं. ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्रों में अमेरिका के दंडात्मक प्रतिबंधों से अब तक ये देश बचे हुए हैं. माना जाता है कि एशिया के दोनों बड़े देश उन आठ देशों में शामिल हैं, जिन्हें ईरान पर सोमवार से लागू हुए प्रतिबंधों से दुर्लभ छूट हासिल हुई है.

ट्रंप प्रशासन ने कहा कि उसने चीन और भारत समेत तुर्की, इराक, इटली, जापान और दक्षिण कोरिया से कहा है कि वह जितना जल्द हो सके ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद कर दे. हालांकि, फॉक्स न्यूज पर एक टॉक शो के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपिओ ने उन सवालों को टाल दिया, जिनमें पूछा गया था कि ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद करने को लेकर भारत और चीन की ओर से पक्का भरोसा मिला है या नहीं.

इस तरह के सवालों के सीधे जवाब नहीं देते हुए उन्होंने कहा कि देखिये, हम क्या करते हैं. पहले के मुकाबले इस बार कहीं अधिक मात्रा में कच्चे तेल को हमने बाजार से हटा दिया है. उन प्रयासों को देखिये, जो राष्ट्रपति ट्रंप की नीति से हासिल हुए हैं. हमने यह सब किया. साथ ही यह भी ध्यान रखा कि अमेरिकी उपभोक्ता इससे प्रभावित नहीं हों.

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