डरावनी होती जा रही है वीडियो गेम्स की दुनिया

डेव ली बीबीसी टेक्नालाजी रिपोर्टर वीडियो गेम्स डरावने होते जा रहे हैं. बहुत अधिक डरावने. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये अपनी हद पार करने वाले हैं? क्लासिक डरावनी फ़िल्म दि ब्लेयर विच प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए वाशिंगटन पोस्ट ने बेहद डरावना और बेचैन कर देने वाला बताया. समाचार पत्र के मुताबिक़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2014 11:35 AM

वीडियो गेम्स डरावने होते जा रहे हैं. बहुत अधिक डरावने. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये अपनी हद पार करने वाले हैं?

क्लासिक डरावनी फ़िल्म दि ब्लेयर विच प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए वाशिंगटन पोस्ट ने बेहद डरावना और बेचैन कर देने वाला बताया.

समाचार पत्र के मुताबिक़ लोग वास्तव में सिनेमाघरों से बाहर निकल रहे थे. अक्सर बीमार होकर.

इसके तुरंत बाद बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई काफ़ी बढ़ गई.

इस सप्ताह लॉस एजेंल्स में आयोजित इलेक्ट्रानिक एंटरटेनमेंट एक्सपो (ई-3) में दुनिया की प्रमुख गेम्स कंपनियां जमा हुईं.

इस बार की एक बड़ी थीम थी कि गेमिंग इंडस्ट्री में भी ब्लेयर विच जैसी उपलब्धि हासिल किया जाए.

पढें: लादेन को मारने वालों पर पड़ी वीडियो गेम की मार

डरना मना है

डरावने वीडियो गेम्स पहले भी आए हैं, लेकिन ज़्यादातर मामलों में हॉरर गेम्स लोगों में उत्तेजना पैदा करने के लिए होते थे, जिन्हें तैयार करना काफ़ी आसान था.

एक बड़े बजट वाले डरावने गेम डाइंग लाइट का विकास करने वाली कंपनी टेकलैंड के एक निर्माता टायमोन स्मेकताला बताते हैं, "मैं सोचता हूं कि हम इस तरह की आसान ट्रिक्स से तंग आ चुके हैं."

वो कहते हैं, "एक सुनसान जगह पर दानव… ऐसा पहले भी किया गया है और सभी जानते हैं कि सुनसान जगह पर उन्हें दानव की उम्मीद करनी चाहिए."

डाइंग लाइट एक फर्स्ट पर्सन गेम है, जिसमें खिलाड़ी को एक ऐसी जगह पर दिन-रात बिताने पड़ते हैं जहां चारो तरफ़ संक्रमित लाशें हैं.

रात के दृश्य में ये गेम अधिक बेचैनी भरा हो जाता है.

ई-3 में दूसरे डेवेलपर्स की तरह टेकलैंड की टीम भी वर्चुअल रियल्टी के साथ प्रयोग कर रही है.

पढें: वीडियो गेम्स की बिक्री गिरी धड़ाम से

वर्चुअल रियल्टी

फेसबुक के स्वामित्व वाले ऑक्लयस रिफ्ट और सोनी के प्रोजेक्ट मॉर्फियस, दोनों की इस आयोजन में उल्लेखनीय मौजूदगी थी.

सोनी के लंदन स्टूडियो के प्रमुख डेव रैनयार्ड ने बताया, "आप जो काम कर सकते हैं, वो लगभग अकल्पनीय है."

उनका मानना है कि वर्चुअल रियल्टी डर को उस स्तर तक ले जा सकती है, जो सर्वाधिक डरावनी फिल्मों को भी पीछे छोड़ देगा.

वो बताते हैं, "वीआर (वर्चुअल रियल्टी) में, ये वास्तव में आप ही हैं. ये वास्तव में एक रोचक दार्शनिक बिंदु है: ये. वास्तव में, आप ही हैं."

प्रोजेक्ट मॉर्फियस अभी बिक्री के लिए उपलब्ध नही है, और ऑक्लयस रिफ्ट को केवल प्रोटोटाइप के रूप में खरीदा जा सकता है. अनुमान है कि 2015 या उसके बाद तक दोनों की लॉचिंग हो जाएगी.

पढें: पुराने रिकॉर्ड धवस्त करता कोरियाई रैप वीडियो

सीमा रेखा

नई तकनीक ने काल्पनिक दृश्यों को एकदम वास्तविक बना दिया है.

डाइंग लाइट के प्रमुख गेम डिजाइनर मैचे बिंकोवस्की बताते हैं, "आप वास्तव में अपनी नाक के सामने दावन को पाते हैं. मुझे उम्मीद है कि किसी को दिल का दौरा नहीं पड़ेगा."

गेमिंग डर के वास्तविक पलों को पैदा कर सकता है, जो आमतौर पर फिल्मों में सीमित रूप में था. ऐसा अत्यधिक वास्तविक दृश्यों, आवाज़ और दोतरफा बातचीत संभव होने के चलते है.

एक बड़े बजट के डरावने वीडियो गेम – दि ईवल विदइंन को बनाने वाली कंपनी बेथेस्डा में पीआर और मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले पीट हाइन्स बताते हैं, "मुझे भरोसा है कि शायद एक सीमा रेखा है… ये इस तरह की चीजों में एक सही संतुलन बनाने के बारे में है."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Next Article

Exit mobile version