वाशिंगटन : सिंधु घाटी में करीब 2500 ईसा पूर्व हुए तापमान एवं मौसमी चक्र में बदलाव की शुरुआत के चलते हड़प्पावासियों को सिंधु के बाढ़ के मैदानों से काफी दूर फिर से बसने पर मजबूर होना पड़ा होगा. एक नये अध्ययन में ऐसा पाया गयाहै.
अमेरिका के वुड्स होल ओश्नोग्राफिक इंस्टीट्यूशन (डब्ल्यूएचओआई) के शोधकर्ताओं ने कहा कि 4,000 साल से भी ज्यादा वक्त से पहले सिंधु नदी घाटी में हड़प्पा संस्कृति पनपी, जो अब आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर पश्चिम भारत में पड़ती है.
उन्होंने बताया कि हड़प्पा के लोगों ने परिष्कृत शहरों का निर्माण किया, मल-प्रवाह पद्धतियों का आविष्कार किया, जो प्राचीन रोम से पहले की तिथि के हैं और मेसोपोटामिया में बस्तियों के साथ लंबी दूरी के व्यापार में शामिल रहे.
इसके बावजूद 1800 ईसा पूर्व तक इस उन्नत सभ्यता ने अपने-अपने शहर छोड़ दिये थे और हिमालय के निचले हिस्से में स्थित छोटे गांवों की तरफ जाने लगे थे.
डब्ल्यूएचओआई के एक भूवैज्ञानिक लिवियु गियोसन ने कहा कि 2500 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी के ऊपर तापमान और मौसमी चक्र में बदलाव की शुरुआत से मॉनसून की बारिश धीरे-धीरे कम होने लगी, जिससे हड़प्पा शहरों के पास खेती मुश्किल या असंभव होने लगी.
शोधकर्ताओं ने कहा कि इसी तरह की मौसमी परेशानियों के चलते संभवत: सभ्यता का खात्मा हुआ. यह अध्ययन ‘क्लाइमेट ऑफ द पास्ट’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.