ढाका : बांग्लादेश ने हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों की आनन-फानन में म्यांमार वापसी की अपनी योजना को गुरुवार रद्द कर दिया. इससे पहले रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने म्यांमार लौटने से इनकार कर दिया था जहां उन्हें अपनी जान का खतरा है.
पिछले साल अगस्त से सात लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार का रखाइन प्रांत छोड़ चुके हैं. इससे पहले उनके खिलाफ कू्रतापूर्ण सैन्य कार्रवाई की गयी थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसे जातीय सफाये का उदाहरण बताया था, वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे नरसंहार की संज्ञा दी. इसे लेकर दुनियाभर में नाराजगी देखने को मिली. बांग्लादेश ने गुरुवार को 485 परिवारों के 2000 रोहिंग्या लोगों के पहले जत्थे की देश वापसी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. म्यांमार के साथ अक्तूबर में तय हुई योजना के तहत यह किया जा रहा था. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि कॉक्स बाजार के शिविर में गुरुवार सुबह से चार ट्रक और तीन बसें खड़ी हैं जो उन शरणार्थियों को ले जाने को तैयार हैं, लेकिन एक भी उन पर सवार होने को तैयार नहीं है.
मौके पर मौजूद राहत आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, बसें तैयार हैं और हमने वापस जाने वालों के लिए तीन दिन का राशन भी तैयार कर रखा है, लेकिन पहले बैच में कोई बस पर सवार नहीं हुआ है. एक रोहिंग्या प्रदर्शनकारी ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा, हम अपनी सुरक्षा और सम्मान चाहते हैं. हमें उन पर (म्यांमार के अधिकारियों पर) भरोसा नहीं है. ढाका ट्रिब्यून ने बांग्लादेश के शरणार्थी राहत और स्वदेश वापसी आयोग के प्रमुख मोहम्मद अबुल कलाम के हवाले से बताया, कोई म्यांमार लौटने को तैयार नहीं है, इसलिए अगर गुरुवार को शाम चार बजे तक कोई खुद से नहीं आता तो रोहिंग्या लोगों की देश वापसी को गुरुवार के लिए रद्द कर दिया जायेगा.
कलाम ने पहले कहा था कि जिन 50 परिवारों से बातचीत की गयी है, उनमें से कोई भी मौजूदा परिस्थितियों में वापस जाने को तैयार नहीं है. हम उनकी इच्छा के विरुद्ध वापस जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. कलाम ने कहा, हम इंतजार कर रहे हैं, अगर शाम चार बजे तक कोई वापसी के लिए तैयार हो गया तो हम वापसी शुरू करेंगे.