अब थाली में परोसा जायेगा लैब में बना मीट, 2025 तक भारत में होगा उपलब्ध
अमेरिका ने पशु कोशिकाओं से विकसित खाद्य उत्पादों के प्रयोग की दी मंजूरी न्यूयॉर्क : अमेरिका में खाने की थाली में जल्द ही ‘लैब मीट’ नजर आयेगा. दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों ने पशु कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से विकसित किये गये खाद्य उत्पादों को नियमित करने के तौर-तरीके पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त की. इससे अमेरिका […]
अमेरिका ने पशु कोशिकाओं से विकसित खाद्य उत्पादों के प्रयोग की दी मंजूरी
न्यूयॉर्क : अमेरिका में खाने की थाली में जल्द ही ‘लैब मीट’ नजर आयेगा. दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों ने पशु कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से विकसित किये गये खाद्य उत्पादों को नियमित करने के तौर-तरीके पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त की. इससे अमेरिका में अब खाने में ‘लैब मीट’ परोसे जाने का रास्ता साफ हो गया है. अमेरिकी कृषि विभाग और खाद्य एवं दवा प्रशासन ने कहा कि दोनों कोशिका-संवर्धित खाद्य उत्पादों का संयुक्त रूप से नियमन करने के लिए सहमत हुए हैं.
इस सिलसिले में अक्तूबर में एक सार्वजनिक बैठक हुई थी. इसके तकनीकी विवरणों की पुष्टि अभी तक की जानी बाकी है. लेकिन, जब स्टेम कोशिकाओं का विकास विशेषीकृत कोशिकाओं में होगा तो ‘एफडीए’ कोशिकाओं के जमा करने और उनके विभेदीकरण की निगरानी करेगा. यूएसडीए खाद्य उत्पादों के उत्पादन और लेबलिंग की निगरानी करेगा.
इधर, भारत के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे 2025 तक भारतीय बाजारों में प्रयोगशालाओं में विकसित मीट उपलब्ध करा देंगे. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसा मांस तैयार करने के लिए पशुओं की कोशिकाओं को लिया जायेगा और उन्हें उनके शरीर के बजाय, अलग से एक पेट्री डिश में विकसित किया जायेगा.
भारत में 2025 तक उपलब्ध होगा यह मांस
क्या है लैब मीट
जीव हत्या और ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिए वैज्ञानिक लैब मीट तैयार करने पर काम कर रहे थे. कुछ साल पहले नीदरलैंड में वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूअर का मांस लैब में तैयार किया था. इसके लिए एक जिंदा सूअर की मांसपेशी से सेल्स लेकर उनका पेट्री डिश में विकास किया गया. इसके बाद उसे दूसरे जानवर उत्पाद के साथ रखा गया. इससे सेल्स की तादाद में इजाफा हुआ और मांसपेशी का टिश्यू बन गया.
भारत में एचएसआइ तैयार करेगा लैब मीट
भारत में लैब मीट को विकसित करने के लिए पशु कल्याण संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया और सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलिकुलर बायोलॉजी ने हाथ मिलाया है. इनका स्वच्छ मांस विकसित करने की तकनीक को बढ़ावा और स्टार्ट अप व नियामकों को साथ लाना उद्देश्य है. वर्ष 2013 में स्वच्छ ऐसे मांस से एक बर्गर तैयार किया गया था. शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वच्छ मांस तैयार करने के लिए पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना कम भूमि और पानी का इस्तेमाल होता है.