कहानियों में संदेश

पंचतंत्र और हितोपदेश की कहानियां पढ़ते-सुनते हम बड़े हुए हैं. आज भी पेरेंट्स इनमें से अनेक कहानियां बच्चों को सुनाते हैं. इन कहानियों की खास बात है कि ये कहानियां हमने सुनी तो होती हैं, लेकिन इनका अंदाज नया है. इंटरनेट दौर में आज इसी नये अंदाज की जरूरत है. बदलते परिवेश में कहानी-किस्सों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2018 5:53 AM
पंचतंत्र और हितोपदेश की कहानियां पढ़ते-सुनते हम बड़े हुए हैं. आज भी पेरेंट्स इनमें से अनेक कहानियां बच्चों को सुनाते हैं. इन कहानियों की खास बात है कि ये कहानियां हमने सुनी तो होती हैं, लेकिन इनका अंदाज नया है.
इंटरनेट दौर में आज इसी नये अंदाज की जरूरत है. बदलते परिवेश में कहानी-किस्सों के प्रस्तुतीकरण में भी बदलाव लाजिमी है. छोटे बच्चों को खेल और नाटक के माध्यम से आप बहुत कुछ सिखा सकते हैं. नयी पुस्तक ‘हर एक फ्रैंड जरूरी होता है’ के जरिये रचनाकार कुमार संजय ने इसी संदेश को बाल-पाठकों के सामने रखा है.
कुमार के नाटकों में जिस तरह संवादों के जरिये संदेशों को बच्चों तक पहुंचाया गया है, वह बेहतरीन है. कहानी छोटी, संवाद समेत उनका मंचन भी छोटा, और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग. संवाद में नयी पीढ़ी के अनुकूल ‘ब्रो’, ‘माॅडर्न डांस’, ‘लो, कल्लो बात’ जैसे शब्दों का प्रयोग बच्चों को कहानी याद रखने में आसानी पैदा करते हैं.
बचपन में एक कहानी सुनी थी कि सोते हुए शेर के ऊपर एक चूहा कूदता है, जिससे उसकी नींद खुल जाती है. इस कहानी का बेजोड़ नाट्य रूपांतरण किया है कुमार संजय ने. साथ ही शीर्षक इतना खूबसूरत कि वह बच्चे-बच्चे की जुबान पर है- ‘हर एक फ्रेंड जरूरी होता है’.
यह इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की देन है. इसके अलावा ‘गब्बर शेर की मौत’ भी पुरानी कहानी का नया अंदाज है. यह उस कहानी का नाट्य रूपांतरण है कि कैसे एक चतुर खरगोश बुद्धिमानी से शेर को कुएं में कूदने पर मजबूर कर देता है. सबसे मजेदार कि अंत में छोटा-सा गीत भी है, जो बच्चे खेल-खेल में गुनगुनायेंगे. इस किताब में कुल दस कहानियों का नाट्य रूपांतरण हैं.
बच्चों के लिए लिखी जानेवाली पुस्तकों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे बच्चों को कितना प्रभावित करती हैं. पात्र कम, संवाद छोटे और बच्चों के अनुरूप हैं. माता-पिता खुद इसे घर में ही प्ले करके बच्चों को सुना-दिखा सकते हैं.
सोसाइटी, मोहल्लों में रहनेवाले भाई-बंधु भी शाम को सभी बच्चों को बुलाकर बच्चों से नाटक करा सकते हैं. स्कूलों में भी ऐसे नाटक जरूर होने चाहिए, जिससे छोटे बच्चों को खेल-खेल में संदेश संप्रेषित हो सकें. दृश्य माध्यम का असर देर तक रहता है. इस पुस्तक का लेआउट और डिजाइन बहुत आकर्षक है, जो बच्चों को भायेगी.
– वीना श्रीवास्तव

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