अमृतसर के निरंकारी भवन पर हमले में तीन की मौत

पंजाब के अमृतसर में धमाके की ख़बर है. पंजाब पुलिस के अनुसार यह धमाका अमृतसर शहर के पास अदिलवाल इलाके में स्थित निरंकारी भवन पर हुआ है. इस धमाके में अभी तक तीन लोगों के मारे जाने जबकि 15 लोगों के घायल होने की सूचना है. अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ने इसकी पुष्टि की है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2018 2:04 PM

पंजाब के अमृतसर में धमाके की ख़बर है. पंजाब पुलिस के अनुसार यह धमाका अमृतसर शहर के पास अदिलवाल इलाके में स्थित निरंकारी भवन पर हुआ है.

इस धमाके में अभी तक तीन लोगों के मारे जाने जबकि 15 लोगों के घायल होने की सूचना है. अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ने इसकी पुष्टि की है.

पंजाब में मौजूद बीबीसी के सहयोगी रविंद्र सिंह रोबिन ने बताया कि अमृतसर सीमा रेंज के आईजी सुरिंदर पाल परमार के अनुसार यह एक ग्रेनेड हमला हो सकता है.

स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस धमाके में दो युवक शामिल हो सकते हैं. चश्मदीदों ने बताया कि दो युवक निरंकारी भवन के पास पहुंचे और उन्होंने वहां गेट पर खड़ी एक लड़की को पिस्टल दिखाई और विस्फोटक सामग्री फेंक दी. बताया जा रहा है कि दोनों अज्ञात हमलावर बाइक पर सवार थे.

निरंकारी भवन में हर रविवार सतसंग होता है, धमाके के वक्त भी सतसंग चल रहा था जिस वजह से मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. चश्मदीदों के अनुसार जब धमाका हुआ तो अचानक से भगदड़ मच गई, इस कारण कोई भी व्यक्ति हमलावरों को देख नहीं पाया.

पुलिस ने कहा है कि वे इस धमाके की जांच कर रहे हैं और फ़िलहाल इसे चरमपंथी हमले से जोड़ना जल्दबाज़ी होगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार पंजाब में पहले से ही अलर्ट घोषित किया गया था क्योंकि ऐसी खबरें थीं कि चरमपंथी समूह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 5 या 6 लोग पंजाब के फ़िरोज़पुर इलाके में हो सकते हैं.

अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्तोहा ने इस धमाके की निंदा करते हुए कहा है कि यह यह निरंकारियों और सिखों के बीच मौजूद दुश्मनी को दर्शाता है. उन्होंने साथ ही कहा कि यह हमला दिखाता है कि राज्य में हाई अलर्ट होने के बावजूद सरकार गंभीर नहीं है और इस तरह के धमाके हो रहे हैं.

कौन हैं निरंकारी

संत निरंकारी मिशन एक आध्यात्मिक संस्था है जिसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है. संत निरंकारी मिशन ख़ुद को न तो कोई नया धर्म मानते हैं और न ही किसी मौजूदा धर्म का हिस्सा, बल्कि वे ख़ुद को मानव कल्याण के लिए समर्पित एक आध्यात्मिक आंदोलन के तौर पर देखते हैं.

इस मिशन की नींव निरंकारी आंदोलन से पड़ी जिसकी शुरुआत बाबा दयाल सिंह ने की थी, लेकिन वे बहुत लंबे समय तक इससे जुड़े नहीं रहे. 1929 में इसकी स्थापना बाबा दयाल सिंह ने की. रुढ़िवादी सिख समुदायों ने इसका भरपूर विरोध किया.

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