एपेक सम्मेलन : अमेरिका-चीन के बीच तनातनी, जारी नहीं हो सका औपचारिक लिखित उद्घोषणा

पोर्ट मोरेस्बी : एशिया प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेता यहां एक सम्मेलन में रविवार को अपने मतभेदों को दूर करने में नाकाम रहे. क्षेत्र में अपना-अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग का प्रभाव सम्मेलन पर पड़ता हुआ स्पष्ट रूप से नजर आया. एशिया प्रशांत आर्थिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2018 4:57 PM

पोर्ट मोरेस्बी : एशिया प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेता यहां एक सम्मेलन में रविवार को अपने मतभेदों को दूर करने में नाकाम रहे. क्षेत्र में अपना-अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग का प्रभाव सम्मेलन पर पड़ता हुआ स्पष्ट रूप से नजर आया.

एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदस्य देशों के नेता व्यापार नीति पर गहरे मतभेद के चलते औपचारिक लिखित उद्घोषणा पर सहमत नहीं हो पाये. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियोलोंग ने कहा, नेताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी कि नेताओं की पारंपरिक उद्घोषणा के बजाय वे पापुआ न्यू गिनी को (एपेक) अध्यक्ष के तौर पर सभी सदस्य देशों की ओर से अध्यक्षीय बयान जारी करने की जिम्मेदारी देते हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू ने स्वीकार किया है कि व्यापार के सिलसिले में कुछ खास मुद्दों पर अलग-अलग दृष्टिकोण थे, जिससे उद्घोषणा दस्तावेज पर सहमति नहीं बन पायी.

पापुआ न्यू गिनी में पहली बार यह वार्षिक सम्मेलन हुआ है. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस के भाषणों का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिला. पेंस ने छोटे देशों को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिश्एटिव’ (बीआरआई) परियोजना के लालच में नहीं आने की चेतावनी दी, जिसमें निर्माण एवं विकास परियोजनाओं के लिए गरीब देशों को चीन की ओर से धन की पेशकश की गयी है. पेंस ने आरोप लगाया कि यह अस्पष्ट ऋण कर्ज का बोझ बढ़ायेगा. उन्होंने एकतरफा मार्ग बता कर इस परियोजना का मजाक उड़ाया. उन्होंने देशों से इसके बजाय अमेरिका के साथ रहने की अपील की, जो अपने सहयोगियों को कर्ज में नहीं डुबोता है, उनके साथ जबर्दस्ती नहीं करता और उनकी आजादी के साथ समझौता नहीं करता.

इससे पहले शी ने अपने भाषण में कहा कि इसमें कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है. उन्होंने इसे चेकबुक कूटनीति करार दिया. उन्होंने अमेरिका प्रथम व्यापार संरक्षणवाद की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक संकीर्ण पहल है जिसके विफल होने की आशंका है. खबर है कि चीन के अधिकारियों ने शनिवार को पापुआ न्यू गिनी के विदेश मंत्री के कार्यालय में घुसने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस बुलायी गयी थी. सूत्रों ने बताया कि चीनी प्रतिनिधियों ने सम्मेलन के मसौदा बयान को अंतिम क्षणों में प्रभावित करने के प्रयास के तहत विदेश मंत्री रिम्बिंक पाटो के कार्यालय में घुसने की कोशिश की, लेकिन उन्हें घुसने नहीं दिया गया.

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