Iran जायेंगे ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरेमी हंट, परमाणु समझौता पर करेंगे बात

लंदन: ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरेमी हंट परमाणु करार और ईरानी जेलों में बंद ब्रिटिश नागरिकों को रिहा कराने के लिए वार्ता की खातिर सोमवार को पहली बार ईरान का दौरा करेंगे. संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था की पिछले सप्ताह आयी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ईरान वैश्विक शक्तियों के साथ अपने परमाणु करार की शर्तों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2018 10:16 AM

लंदन: ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरेमी हंट परमाणु करार और ईरानी जेलों में बंद ब्रिटिश नागरिकों को रिहा कराने के लिए वार्ता की खातिर सोमवार को पहली बार ईरान का दौरा करेंगे. संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था की पिछले सप्ताह आयी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ईरान वैश्विक शक्तियों के साथ अपने परमाणु करार की शर्तों का पालन कर रहा है.

यह रिपोर्ट ईरान पर अमेरिका के नये सिरे से प्रतिबंध लगाने के कुछ दिन बाद आयी है. अमेरिकाके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने के उद्देश्य से हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते से अलग होने के बाद इस्लामी देश पर एकतरफा कई दौर के प्रतिबंध लगाकर तेहरान पर दबाव बढ़ा दिया है.

अमेरिका के तेहरान के साथ परमाणु करार से अलग होने के बाद हंट ईरान का दौरा करने वाले किसी पश्चिमी देश के पहले विदेश मंत्री हैं. हंट ने लंदन में एक बयान में कहा, ‘परमाणु हथियार संपन्न ईरान से खतरे को खत्म कर पश्चिम एशिया में स्थिरता लाने के लिए तेहरान के साथ एटमी करार महत्वपूर्ण है.’

हंट परमाणु कार्यक्रम संबंधित प्रतिबंधों से राहत कायम रखने के यूरोपीय प्रयासों पर बातचीत के लिए ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जारिफ से मिलेंगे. हंट सीरिया और यमन में चल रहे संघर्ष में ईरान की भूमिका पर भी बातचीत करेंगे. साथ ही वह हिरासत में लिये गये ब्रिटेन और ईरान की दोहरी नागरिकता रखने वाले नागरिकों के मामलों पर भी चर्चा करेंगे.

इनमें नाजानिन जागारी रैटक्लिफ का चर्चित मामला है, जो कथित राजद्रोह के लिए पांच साल जेल की सजा काट रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम अवश्य देखना चाहेंगे कि ईरान में जेल में बंद निर्दोष ब्रिटिश-ईरानी दोहरे नागरिक ब्रिटेन में अपने परिवारों के पास लौट जायें.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं ईरान में देश के नेताओं के लिए स्पष्ट संदेश के साथ आया हूं कि निर्दोष लोगों को जेल में डालने को कूटनीतिक फायदे के औजार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.’

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