पाकिस्तान ने अमेरिकी राजनयिक को किया तलब, ओसामा पर ट्रंप के बयान पर जताया विरोध

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने मंगलवार को यहां एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और ओसामा बिन लादेन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह इतिहास का बंद हो चुका अध्याय है और इससे द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है. ट्रंप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2018 5:36 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने मंगलवार को यहां एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और ओसामा बिन लादेन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह इतिहास का बंद हो चुका अध्याय है और इससे द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है.

ट्रंप ने रविवार को और बाद में अपने ट्वीटों में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर उसे दी जाने वाली लाखों डॉलर की सैन्य सहायता को बंद करने के अपने प्रशासन के फैसले का बचाव किया था. ट्रंप ने अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में छिपने का ठिकाना देने के लिए भी इस्लामाबाद की आलोचना की. राष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज से कहा, हम पाकिस्तान को हर साल 1.3 अरब डॉलर देते हैं. लादेन पाकिस्तान में रह रहा था. हम उस पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं. हम उसे हर साल 1.3 अरब डॉलर दे रहे हैं. अब हम उन्हें यह नहीं देते. मैंने इसलिए देना बंद कर दिया क्योंकि वो हमारे लिए कुछ नहीं करते.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने मंगलवार को बताया, विदेश सचिव (तहमीना जांजुआ) ने अमेरिका के कार्यवाहक राजदूत पॉल जोंस को तलब किया और पाकिस्तान के खिलाफ लगाये गये अवांछित और अपुष्ट आरोपों पर कड़ा ऐतराज दर्ज कराया. उन्होंने अपने बयान में कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति के हालिया ट्वीट और टिप्पणियों पर सरकार की निराशा प्रकट करते हुए अमेरिकी कार्यवाहक राजदूत को बताया गया कि पाकिस्तान के बारे में इस तरह के बेबुनियाद बयान पूरी तरह अस्वीकार्य हैं. फैसल ने बताया कि जांजुआ ने बिन लादेन के बारे में किये गये कटाक्ष को खारिज कर दिया और जोन्स को याद दिलाया कि पाकिस्तान के खुफिया सहयोग की वजह से ही बिन लादेन के बारे में शुरुआती सबूत मिले थे. जांजुआ ने जोंस से कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान से ज्यादा कीमत किसी दूसरे देश ने नहीं चुकायी.

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