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भारत-वियतनाम ने रक्षा सहयोग और तेल खोज क्षेत्र बढ़ाने का किया समझौता

हनोई : भारत और वियतनाम ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रक्षा सहयोग और तेल अन्वेषण बढ़ाने का फैसला किया है और उन्होंने दक्षिण चीन सागर में नौवहन तथा ऊपर से उड़ान एवं निर्बाध आर्थिक गतिविधियों के महत्व को भी दोहराया. यह कवायद ऐसे समय पर हुई है, जब हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र […]

हनोई : भारत और वियतनाम ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रक्षा सहयोग और तेल अन्वेषण बढ़ाने का फैसला किया है और उन्होंने दक्षिण चीन सागर में नौवहन तथा ऊपर से उड़ान एवं निर्बाध आर्थिक गतिविधियों के महत्व को भी दोहराया. यह कवायद ऐसे समय पर हुई है, जब हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन अपना प्रभुत्व दिखाता रहा है.

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की वियतनाम की राजकीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने इस राय को साझा किया कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग समग्र रणनीतिक साझेदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है. उन्होंने एक दूसरे के नौसैनिक/तटरक्षक जहाजों की परस्पर यात्राएं, खासकर 2018 में और आने वाले सालों में जारी रखने का स्वागत किया.

कोविंद और वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन फू त्रोंग ने 2015-2020 के लिए वियतनाम-भारत रक्षा सहयोग पर संयुक्त दृष्टि वक्तव्य को प्रभावी तरीके से लागू करने पर सहमति जतायी. संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, उन्होंने मानव संसाधन प्रशिक्षण में सहयोग बढ़ाने और दोनों देशों की सेना, वायुसेना, नौसेना तथा तटरक्षक के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करने पर सहमति जतायी. उन्होंने साइबर सुरक्षा और सूचना साझेदारी में भी सहयोग बढ़ाने पर रजामंदी जतायी.

वियतनाम ने रक्षा उद्योग के लिए 50 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता की भारत की पेशकश की सराहना की. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण अभियानों में साझेदारी पर भी सहमति जतायी. वक्तव्य के अनुसार, दोनों ने बहुस्तरीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग रूपरेखा में समन्वय बढ़ाने और एक दूसरे का सक्रियता से समर्थन करने पर भी रजामंदी व्यक्त की. इसके अनुसार, उन्होंने जनवरी में नयी दिल्ली में हुए सम्मेलन में समुद्री सहयोग पर आसियान-भारत रणनीतिक संवाद के प्रस्ताव की भावना के अनुरूप समुद्री क्षेत्र से संबंधित विषयों पर पहले समुद्री सुरक्षा संवाद के आयोजन पर सहमति जतायी.

बयान के अनुसार, भारत और वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में मौजूदा घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान किया और दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा बनाये रखने तथा नौवहन एवं ऊपर से उड़ान की स्वतंत्रता एवं निर्बाध आर्थिक गतिविधियों के महत्व को भी दोहराया. दक्षिण चीन सागर के लगभग सारे खनिज संपन्न क्षेत्र पर चीन अपना दावा करता है और उसने पूर्वी चीन सागर में जापान के नियंत्रण वाले सेनकाकू द्वीप पर भी दावा किया है.

दक्षिण चीन सागर को लेकर वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के विपरीत दावे हैं. अमेरिका बार-बार नौवहन की आजादी सुनिश्चित करने के लिए अपने नौसैनिक जहाजों और लड़ाकू विमानों को तैनात करता रहा है.

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