अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर करने के लिए तालिबान ने चली है चाल, बोले हक्कानी

वाशिंगटन : अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर करने के लिए तालिबान ने एक चाल चली है. अमेरिका को इस आतंकवादी संगठन के झांसे में नहीं आना चाहिए. यह कहना है पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक का. राजनयिक ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ वार्ता को लेकर आगाह किया है. कहा है कि एक बार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2018 9:35 AM

वाशिंगटन : अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर करने के लिए तालिबान ने एक चाल चली है. अमेरिका को इस आतंकवादी संगठन के झांसे में नहीं आना चाहिए. यह कहना है पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक का. राजनयिक ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ वार्ता को लेकर आगाह किया है. कहा है कि एक बार अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक निकल गये, तो यह देश फिर से तालिबान का गढ़ और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह बन जायेगा.

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने विदेश नीति से जुड़ी एक प्रतिष्ठित पत्रिका में लिखा है, ‘अगर अमेरिकी जल्दबाजी में अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला करते हैं, तो जिहादी पूरी दुनिया में भविष्य के लड़ाकों को यह बतायेंगे कि किस तरह उनके धार्मिक जुनून के साथ आतंकवाद के मिश्रण ने दुनिया की दो सैन्य महाशक्तियों पर जीत हासिल की.’ इससे पहले सोवियत संघ को भी अफगानिस्तान से बाहर जाना पड़ा था.

हक्कानी ने यह विचार हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे गये उस पत्र के बाद रखे हैं, जिसमें ट्रंप ने इमरान से अफगानिस्तान में शांति के लिए पाकिस्तान का सहयोग मांगा था.

हक्कानी ने लिखा, ‘अमेरिका के नजरिये से, अफगानिस्तान पिछड़ा हुआ देश है, जो सिर्फ विरोधियों के इस पर नियंत्रण के दौरान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है. अमेरिका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ को हटाने के लिए अफगानों का समर्थन किया था.’

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में शांति के लिए वर्षों से अमेरिका ने अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है, लेकिन इस दौरान हुए तालिबान के हमलों के चलते अनेक अमेरिकी सैनिकों को भी जान गंवानी पड़ी है.

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