Loading election data...

आगामी लोकसभा चुनावों की जमीन तैयार

आशीष रंजन चुनाव विश्लेषक ranjanashish86@gmail.com इन चुनावी परिणामों से देश की भविष्य की राजनीति में आनेवाली करवटों के संकेत मिल रहे हैं. परिणामों में क्या हुआ है, कौन जीता है और कौन हार गया है हम सब जानते हैं. लेकिन इन परिणामों के बीच बड़ी तस्वीर देखने की जरूरत है. साल 2014 के लोकसभा चुनावों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2018 5:12 AM

आशीष रंजन

चुनाव विश्लेषक

ranjanashish86@gmail.com

इन चुनावी परिणामों से देश की भविष्य की राजनीति में आनेवाली करवटों के संकेत मिल रहे हैं. परिणामों में क्या हुआ है, कौन जीता है और कौन हार गया है हम सब जानते हैं. लेकिन इन परिणामों के बीच बड़ी तस्वीर देखने की जरूरत है. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ मिलाकर 65 सीटों में से 62 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी.

साल 2013 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान व मध्य प्रदेश में भाजपा को लगभग 45 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 41 फीसदी वोट मिला था. वर्तमान चुनावों में उसे अकेले छत्तीसगढ़ में लगभग 10 फीसदी का नुकसान हुआ है. यह सभी ट्रेंड अगर पांच-छह महीने बने रहते हैं तो देश के सामने कुछ महत्वपूर्ण घटने की संभावना बनती देखी जा सकती है. आज से छह महीने पहले तक भाजपा को अजेय माना जाता था, कहा जाता था कि भाजपा के सामने कोई विपक्ष नहीं खड़ा है. इन चुनावी परिणामों के बाद यह धारणा एकदम से बदल गयी है और आने वाले लोकसभा चुनावों में हमें खुला मुकाबला देखने को मिलेगा.

लेकिन यह मानना भूल होगी कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा हारेगी ही. यह कहना जल्दीबाजी होगी, क्योंकि सीटें भले ही कम हुई हों, पर छत्तीसगढ़ को छोड़कर कहीं पर भी भाजपा का वोट प्रतिशत 3-5 प्रतिशत से ज्यादा कम नहीं हुआ है. अभी भी 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. लेकिन, सवाल यह है कि क्या वह दोबारा बहुमत हासिल कर पायेगी? मेरा मानना है कि आज के समय और इन चुनावी परिणामों को देखते हुए भाजपा का दोबारा बहुमत हासिल करना बहुत मुश्किल है.

इन चुनावी परिणामों से कांग्रेस को फायदा पहुंचा है. निश्चित तौर पर अन्य विपक्षीय पार्टियों का कांग्रेस पर आगामी लोकसभा चुनावों से पहले भरोसा बढ़ जायेगा. गठबंधन के अंदर यह भरोसा पैदा होगा कि कांग्रेस को साथ लेकर 2019 में भाजपा को पटखनी दी जा सकती है. कांग्रेस के कैडरों का निश्चित तौर पर आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें नैतिक बल भी मिला है.

यह संदेश पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच प्रेरणा बनकर घूम रहा है कि उनकी पार्टी भाजपा को हरा सकती है. यह प्रेरणा पिछले कुछ सालों से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच से नदारद दिख रही थी. गुजरात चुनावों ने उनमें कुछ-कुछ उत्साह जगाया था, लेकिन वर्तमान परिणामों ने उनमें जोश भर दिया है, जो आगामी लोकसभा चुनावों के पहले बहुत जरूरी था.

अब देखने योग्य होगा कि लोकसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे. गुजरात से लेकर राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश के चुनावों तक ग्रामीण इलाकों के मुश्किलों व कृषि संकट से जुड़े मुद्दे छाये रहे. सरकारी नीतियों के फलस्वरूप किसान आत्महत्याओं की समस्या तो बनी ही रही, नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद असंगठित क्षेत्रों में लाखों नौकरियां चली गयीं. इसका असर सबसे ज्यादा निम्न वर्ग में आनेवाले मजदूरों, अकुशल श्रमिकों, छोटी-छोटी दुकानों पर काम करनेवाले सभी कामगारों की नौकरी चली गयी. हजारों को गांव लौटना पड़ा, जहां काम के अवसर पहले से ही मौजूद नहीं थे.

भाजपा के लिए सबक है कि जिन मुद्दों पर उन्होंने वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया. लोगों की जरूरत को अगर वह पूरा नहीं कर पा रही है, तो सत्ता से वह बाहर हो सकती है. सभी पार्टियों के लिए यह संदेह है कि उन्हें मुद्दों पर काम करना पड़ेगा, रोजगार देना पड़ेगा. इंफ्रास्ट्रक्चर पर भाजपा ने मध्य प्रदेश सहित सभी प्रदेशों में अच्छा काम किया है, लेकिन लोगों की बुनियादी जरूरतें अपनी जगह बनी हुई हैं.

आज का युवा 90 दशक के बाद पैदा हुआ युवा है, वह ‘मंडल-मंदिर-मार्केट’ का युवा है, उन्हें अच्छी शिक्षा, नौकरी, अच्छा जीवनस्तर चाहिए. इसलिए यह केवल भाजपा के लिए नहीं, कांग्रेस सहित सभी पार्टियों के लिए भविष्य की चुनौती है कि सत्ता की कुर्सी पर बैठने के बाद इन मुद्दों को कैसे हल करती हैं.

Next Article

Exit mobile version