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परिणाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ायेंगे

देवेंद्र शुक्ल चुनाव विश्लेषक devendraallahabad@gmail.com छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों की तरफ नजर डालें, तो यह दिखायी देता है कि वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है, लेकिन सीटों के हिसाब से देखने पर छत्तीसगढ़ में बीजेपी राज का खात्मा दिखायी दे रहा है. एक बात ध्यान में रखने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2018 5:26 AM
देवेंद्र शुक्ल
चुनाव विश्लेषक
devendraallahabad@gmail.com
छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों की तरफ नजर डालें, तो यह दिखायी देता है कि वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है, लेकिन सीटों के हिसाब से देखने पर छत्तीसगढ़ में बीजेपी राज का खात्मा दिखायी दे रहा है. एक बात ध्यान में रखने वाली यह है कि संसदीय चुनावों में टू-वे फाइट हो जाती है.
छत्तीसगढ़ में साल 2003 से लेकर 2013 के बीच जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, सबमें बीजेपी ने जीत हासिल की थी. संसदीय चुनावों के समस्त 100 प्रतिशत वोटों में से 49 फीसदी बीजेपी के हाथ आता रहा है, वहीं लगभग 44 प्रतिशत कांग्रेस के हिस्से. पूर्व विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद संसदीय चुनावों में भी कांग्रेस एक सीट से ज्यादा नहीं ला पायी, न बीजेपी 10 सीट से ज्यादा. लेकिन वर्तमान विधानसभा परिणामों में यह हुआ है कि कांग्रेस की सीटें बहुत ज्यादा बढ़ी हैं. इतनी सीटें बीजेपी भी पिछले तीनों कार्यकाल के दौरान नहीं ला पायी थी.
हम सब जानते हैं कि लोकसभाएं विधानसभाओं से मिलकर बनती हैं और छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं व 11 लोकसभा सीटें. आने वाले वक्त में कांग्रेस को जिन चुनाव क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल हुई है, यानी सबसे बड़ी जीत मिली है, वहां से जीते प्रतिनिधियों को कांग्रेस लोकसभा चुनावों में सांसद के तौर पर भी आगे बढ़ाना चाहेगी. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ में चेहरे नहीं हैं. उसके पास दुर्ग से सांसद चुने गये ताम्रध्वज साहू ही हैं, जिन्होंने मोदी लहर के बीच 2014 में जीत हासिल की थी.
इसलिए उन्हें कांग्रेस ने इस बार विधानसभा चुनाव में दुर्ग से ही एमएलए सीट के लिए भी लड़ा दिया था. इसका एक पहलू यह भी है कि छत्तीसगढ़ के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में साहू लोगों की सबसे ज्यादा संख्या है. तो अब कांग्रेस इन्हीं जीते हुए लोगों में से लोकसभा चुनाव के लिए 11 प्रतिनिधि चुनेगी. ऐसा भी हो सकता है कि इन 11 लोगों की पहचान अभी करली जायेगी और इन्हें अभी राज्य में मंत्री पद नहीं दिया जायेगा तथा अभी से लोकसभा चुनावों के लिए इनका प्रचार शुरू कर देगी.
कुल वोटों पर नजर डालें तो एक बात यह दिखती है कि कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों के जमकर वोट मिले हैं और केंद्रीय छत्तीसगढ़ के इलाकों, यानी शहरी क्षेत्रों में बीजेपी का अपना वोट बना रहा है. बीजेपी को जितनी सीटें मिली हैं, मुख्यतः शहरी क्षेत्रों के मजबूत वोटिंग के कारण मिली हैं.
ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि जिन शहरी सीटों में उसके विधायकों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्हीं को लोकसभा चुनावों में लड़ाया जाये. इस स्थिति में बीजेपी के लिए मामला कठिन हो जायेगा.
बीजेपी की इतनी सीटों की बुरी हार के बावजूद उसका वोट शेयर 30 प्रतिशत के ऊपर ही है, लेकिन कांग्रेस की तुलना में 10 प्रतिशत से कम. लेकिन फिर भी जब नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनावों में प्रचार करने आयेंगे, तो विधानसभा में कांग्रेस की अच्छी स्थिति के बावजूद चुनावी मुकाबला बराबरी का होगा और जहां तक मेरा अनुमान है, छत्तीसगढ़ में बीजेपी लोकसभा की पिछली बार की 10 सीटों से कम पर चुनी जायेगी, लेकिन 7-8 सीटों के आस-पास बनी रहेगी.
फिलहाल, सभी स्थितियों को देखकर यह स्पष्ट है कि कांग्रेस फायदे में है और बीजेपी नुकसान में जा रही है. इन परिणामों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह लोकसभा चुनाव से पहले दोगुना हो जायेगा, वहीं तीन बार लगातार चुनी गयी सरकार के जाने से बीजेपी के कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास डगमगायेगा.

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