छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद जनता ने कांग्रेस पार्टी को सत्ता सौंप दी है. कांग्रेस को स्पष्ट दो तिहाई बहुमत हासिल हुआ है. इसके साथ ही पिछले 15 साल से चले आ रहे रमन सिंह के ‘राज’ का अंत हो गया. किसी भी एग्जिट पोल सर्वे ने यह नहीं बताया था कि भाजपा को इस चुनाव में इतनी कम सीटें मिलेंगी, बल्कि अधिकांश सर्वे ने भाजपा को सबसे बड़े दल के रूप में बताया था.
केवल इंडिया टूडे-एक्सिस ने अपने सर्वे में कांग्रेस को 65 सीट मिलने की अनुमान था. इस बार चुनाव में कांग्रेस ने बगैर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किये ही चुनाव लड़ा था. कांग्रेस की सफलता के पीछे पीएल पुनिया का नाम बताया जा रहा है. राहुल ने पुनिया पर भरोसा कर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया था.
हार की मुख्य वजह
15 साल तक सत्ता में रहने के बाद जिस तरह से जनता ने उनकी सरकार के खिलाफ वोट दिया है उससे एंटी इन्केंबन्सी माना जा सकता है.
छत्तीसगढ़ के किसान फसलों के मूल्यों को लेकर रमन सिंह से उम्मीद लगाये बैठे थे लेकिन उन्हें निराशा ही मिली थी.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को कर्जमाफी का वायदा किया था, इसको लेकर किसानों का झुकाव कांग्रेस की ओर रहा.दलितो और आदिवासियों ने रमण सिंह का खेल बिगाड़ दिया. आदिवासी-दलित बहुल इलाकों में भाजपा की स्थिति बहुत ही निराशानजक रही.
पिछले चुनाव की स्थिति
2018 वोट % 2013 वोट % 2008 वोट% 2003 वोट %
भाजपा 15 33.00% 49 41.00% 50 40.33% 50 39.26%
कांग्रेस 68 43.20% 39 40.30% 38 38.63% 37 36.71%