कातोविस (पोलैंड) : भारत ने कहा है कि पेरिस जलवायु समझौते पर बातचीत की गुंजाइश नहीं थी. इसके मूल सिद्धांतों पर समझौता नहीं किया जा सकता. मूल सिद्धांतों में समान भागीदारी और जलवायु परिवर्तन से निबटने में हर देश की अलग क्षमताएं और अलग जिम्मेदारियां (सीबीडीआर-आरसी) शामिल हैं.
भारत ने बुधवार को यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मंत्री स्तरीय सत्र में कहा, ‘हम सभी इस बात पर सहमत हैं कि पेरिस समझौते में बातचीत की गुंजाइश नहीं है. इसलिए विकसित और विकासशील देशों के बीच बने नाजुक संतुलन को बरकरार रखना चाहिए. समान भागीदारी और जलवायु परिवर्तन से निबटने में हर देश की अलग क्षमताएं और अलग जिम्मेदारियां जैसे मूल सिद्धांत शामिल होने चाहिए.’
भारत ने एक बयान में कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें गरीब, वंचित और कमजोर वर्गों के साथ खड़ा होना चाहिए, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.’ उसने कहा कि यह समय साझा बराबरी और जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर हित तलाशने और एक-दूसरे का समर्थन करने का है, ताकि ‘कोई भी पीछे न रह जाये.
पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन की ओर से दिये गये बयान में कहा गया, ‘हम 2020 से पहले और अगले साल के महत्वाकांक्षी कार्यों का जायजा लेते रहेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि विकसित देश 2020 से पूर्व की प्रतिबद्धताओं का सम्मान करेंगे, ताकि उसके बाद कोई बोझ न रहे. हम दोहा संशोधन को भी जल्द से जल्द लागू होते देखना चाहते हैं.’
पर्यावरण मंत्री की ओर से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एके मेहता ने बुधवार देर रात बयान दिया.